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Joy of Nostalgia: कैसे बच्चों से आपको अपना बचपन याद आ जाता है?

बचपन बहुत ही खूबसूरत चीज है लेकिन यह बार-बार नहीं मिलता है। अगर आपने अपना बचपन इंजॉय किया है तो आप बहुत ब्लेस्ड व्यक्ति हैं। बचपन एक ऐसी उम्र होती है जहां पर आपको कोई भी स्ट्रेस नहीं होता है। आप बहुत ज्यादा रियल होते हैं।

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Rajveer Kaur
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Responsibility on kids

How Kids Remind Us of Our Youthful Wonder: बचपन बहुत ही खूबसूरत चीज है लेकिन यह बार-बार नहीं मिलता है। अगर आपने अपना बचपन इंजॉय किया है तो आप बहुत ब्लेस्ड व्यक्ति हैं। बचपन एक ऐसी उम्र होती है जहां पर आपको कोई भी स्ट्रेस नहीं होता है। आप बहुत ज्यादा रियल होते हैं। आप कोई भी चीज दिखाकर नहीं करते हैं। आपके हर काम के पीछे कोई साजिश नहीं होती। आप हर चीज को फ्लो के साथ करते जाते हैं। आप बहुत ज्यादा सच्चे इंसान होते हैं लेकिन धीरे-धीरे इस दुनिया की सच्चाई का आपको पता चलता है। चलिए आज इस आर्टिकल में बात करते हैं कि कैसे बच्चों को देखने के बाद हमें अपना बचपन याद आ जाता है?

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कैसे बच्चों से आपको अपना बचपन याद आ जाता है?

बचपन एक ऐसा समय है जो जिंदगी में एक बार मिलता है। यह ऐसा समय होता है जब आपके ऊपर कोई प्रेशर या जिम्मेदारी नहीं होती है। यह आपकी लाइफ का सबसे बढ़िया समय होता है। अगर आप इस समय को इंजॉय करते हैं और आपको अपनी उम्र से ज्यादा जिम्मेदारियां का बोझ नहीं होता है तो आप बहुत ज्यादा ब्लेस्ड हैं। जब हम अपने आसपास बच्चों को देखते हैं तो हम भी उस समय में चले जाते हैं। हम उन चीजों को याद करते हैं जिन्हें हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं लेकिन वापिस उस उम्रमें नहीं जा नहीं सकते। हमें अपने वो दोस्त याद आते हैं जिनके साथ समय बिताया होता है। हम उस नोकझोंक को भी मिस करते हैं जो हम अपनी मां से करते थे। हम अपने माता-पिता से जिद करते थे और वो हमें हर चीज दिला देते थे। बचपन में से प्यार के सिवा आपको कुछ नहीं मिलता। 

उस समय तो बड़ों की डांट में भी उनका प्यार ही छिपा होता है। जब आदमी एक मुकाम पर पहुंच जाता है तब उसे समझ आता है कि सबसे बढ़िया टाइम हमारी जिंदगी का बचपन ही था। आज चाहे हमारे पास सभी सुविधाएँ मौजूद हैं। हम अपनी मर्जी से कहीं जा सकते हैं या फिर कुछ भी खरीद सकते हैं लेकिन बेपरवाही सिर्फ बचपन में ही मिलती है। हम बचपन में होते हैं तो हमें लगता है कि शायद बड़े होकर सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन बड़े होकर समझ आता है कि बचपन में ही सब कुछ ठीक था।माता-पिता को चाहिए कि आप बच्चों के बचपन को बहुत ज्यादा सीरियस लें। उन्हें बिल्कुल भी स्ट्रेस मत दें। उन्हें अपनी जिंदगी खुलकर जीने दें क्योंकि यह समय वापस नहीं आएगा और जब बच्चा बड़ा हो जाएगा तो वह इस समय को जरूर मिस करेगा।

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