Student Life Matters: कब तक कोटा में देते रहेंगे विद्यार्थी अपनी जान?

आप सब ने देखा होगा कि आए दिन कोटा से खबरें आती है कि बच्चों ने सुसाइड कर लिया क्योंकि उन्होंने जी और नीट का एग्जाम नहीं हो पा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि कब तक बच्चे पढ़ाई के नाम पर कोटा में अपनी जान देते रहेंगे।

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Rajveer Kaur
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How Long Will Students Continue To Suicide In Kota: चंबल नदी के किनारे स्थित कोटा शहर जिसे देश का एजुकेशन हब भी बोला जाता है, आजकल के समय में अपनी पेंटिंग्स, म्यूजियम और आर्किटेक्ट के अलावा कुछ और ही चीजों के लिए मशहूर है। आप सब ने देखा होगा कि आए दिन कोटा से खबरें आती हैं कि बच्चों ने सुसाइड कर लिया क्योंकि उन्होंने JEE और NEET का एग्जाम नहीं हो पा रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि कब तक बच्चे पढ़ाई के नाम पर कोटा में अपनी जान देते रहेंगे और हम चुपचाप इस तमाशे को देखते रहेंगे। बच्चे इतने लाचार और बेवस हो जाते हैं कि वह अपने दिल की बात ही नहीं बता पाते। उनकी मानसिक कंडीशन को समझने के लिए कोई तैयार ही नहीं है। आज इस आर्टिकल में बात करेंगे की कब तक कोटा में ऐसे ही बच्चों की जान जाती रहेगी?

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Students Live Matters: कब तक कोटा में देते रहेंगे विद्यार्थी अपनी जान?

पहले के समय में बहुत ही कम करियर ऑप्शंस होते थे जिनमें इंजीनियर और डॉक्टर सबसे ऊपर माने जाते थे। यह स्टेटस सिम्बल हुआ करता था। इसका मतलब वह बहुत ज्यादा होशियार होगा या उसके मां-बाप इस बैकग्राउंड से होंगे। यह पढ़ाई बाकियों से महंगी भी है और बहुत सारे बच्चे इसे करने का सपना देखते हैं लेकिन कुछ  कर नहीं पाते।

कुछ समय से बच्चों का कोटा का तरफ काफी ध्यान आकर्षित हुआ है।

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भारत के सभी आईआईटी प्रवेशों में लगभग एक-तिहाई योगदान कोटा हर साल दे रहा है और कुछ छात्र एआईआर रैंक भी हासिल करते हैं। धीरे-धीरे, कोटा आईआईटी-जेईई, एआईईईई, कैट, सीए, सीएस प्रवेश परीक्षा, प्री-मेडिकल, प्री-इंजीनियरिंग परीक्षा, ऑनलाइन शिक्षा, दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम आदि के लिए कोचिंग प्रदान करने के लिए एक बहुत लोकप्रिय शहर बन गया है। कोटा मेडिकल और इंजीनियरिंग के कई कॉलेजों और विश्वविद्यालयों का घर है।

इसी के चलते मां-बाप अपने बच्चों को कोचिंग के लिए कि उनकी आईआईटी में एडमिशन हो जाए कोटा भेजे देते हैं। कुछ बच्चों की इच्छा होती है और वह करना चाहते हैं। उन्हें कोई समस्या नहीं आती। जिन बच्चों को करियर ऑप्शन के नाम पर सिर्फ इंजीनियरिंग और डॉक्टर की पढ़ाई करने का प्रेशर डाला जाता है, वह नहीं कर पाते हैं। वह अपने ऊपर बोझ ले लेते हैं कि हम नहीं कर पा रहे हैं। इसके साथ ही खुद को दोषी मानते हुए सुसाइड कर लेते हैं जो कि दुखदायक बात है। 

एक एग्जाम आपकी जिंदगी नहीं है

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हर व्यक्ति जिंदगी में 10 चीजें ट्राई करता है लेकिन जरूरी नहीं कि उन सभी में सफलता प्राप्त होगी, यह भी हो सकता है कि उन्हें 11वीं चीज में भी सफलता मिल जाए। सिर्फ यहीं एग्जाम तुम्हारी लाइफ नहीं है। जब वह उसमें नहीं कर पा रहे होते हैं उन्हें लगता है हम पीछे छूट रहे हैं, बाकी सब आगे जा रहे हैं। हमारे लिए एक ही करियर ऑप्शन है। आजकल बहुत सारे करियर ऑप्शंस है, बच्चों को बस सही गाइडेंस की जरूरत है। उन्हें इतना प्रेशराइज मत कीजिए कि आखिर उन्हें अपनी जान देकर ही राहत महसूस हो।