जानिए कैसे सिस्टरहुड "औरत-विरोधी" सोच का इलाज है?

हमारे समाज में औरत-विरोधी सोच ने औरतों को ही एक-दूसरे का दुश्मन बना दिया है। इस सोच के कारण महिलाएं उन बातों या धारणाओं को भी सच मानने लगती हैं जो खुद औरतों के खिलाफ बनाई गई थीं।

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Rajveer Kaur
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How Sisterhood Can Heal the Deep Wounds of Internalized Misogyny: हमारे समाज में औरत-विरोधी सोच ने औरतों को ही एक-दूसरे का दुश्मन बना दिया है। इस सोच के कारण महिलाएं उन बातों या धारणाओं को भी सच मानने लगती हैं जो खुद औरतों के खिलाफ बनाई गई थीं। आज भी आप अपने आसपास कई ऐसी महिलाएं देख सकते हैं जो इस औरत-विरोधी सोच का शिकार हैं। उन्हें लगता है कि अगर किसी औरत के साथ कुछ गलत हो रहा है तो इसके पीछे भी औरत का ही हाथ है या फिर उन्हें लगता है कि औरतें कभी पुरुषों का मुकाबला कर ही नहीं सकतीं। हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। आज हम बात करेंगे कि कैसे ‘सिस्टरहुड’ इस औरत-विरोधी सोच को खत्म करने में मदद कर सकता है।

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जानिए कैसे सिस्टरहुड "औरत-विरोधी" सोच का इलाज है? 

औरत-विरोधी सोच बहुत ही खतरनाक होती है। इसमें महिलाएं खुद यह मानने लगती हैं कि वे पुरुषों से कम हैं या उनसे मुकाबला नहीं कर सकतीं। इससे वे दूसरी महिलाओं को नीचा दिखाने लगती हैं और उन्हें हर बात पर जज करती हैं। यह सब कुछ पितृसत्तात्मक सोच का हिस्सा है, जो सदियों से चली आ रही है और अब औरतों की सोच पर भी असर डालने लगी है।

इस सोच के कारण बहुत सारी गलत धारणाएं औरतों को लेकर आम हो गई हैं, जैसे औरतें एक-दूसरे से जलन करती हैं और यह स्वाभाविक है। औरतों की दोस्ती कभी गहरी नहीं हो सकती। जो महिलाएं छोटे या तंग कपड़े पहनती हैं, उनका कैरेक्टर खराब होता है। औरतों को रात में अकेले बाहर नहीं निकलना चाहिए, और अगर कुछ गलत हो जाए, तो वही जिम्मेदार होती हैं। सास-बहू का रिश्ता कभी अच्छा नहीं हो सकता। बहू को करियर से ज्यादा ससुराल को अहमियत देनी चाहिए। ये सब बातें औरतों के लिए एक बड़ा बैरियर बन चुकी हैं। इनकी वजह से महिलाएं अपनी चॉइस से जी नहीं पातीं और समाज में अपनी जगह तय नहीं कर पातीं। लेकिन इसका इलाज संभव है।

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सिस्टरहुड इस बीमारी का इलाज है

अगर महिलाएं एक-दूसरे का साथ देना शुरू करें, अपने आसपास की महिलाओं के लिए एक सुरक्षित माहौल बनाएँ जहां कोई जज न करे, समझे, और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाए तो यह बदलाव मुमकिन है। हमें इस पितृसत्तात्मक सोच की जड़ पर वार करना होगा। हमें समझना होगा कि औरतों को एक-दूसरे से तुलना करने की कोई जरूरत नहीं है। हर औरत अपने तरीके से मजबूत और खास है। हमें किसी की वैलिडेशन की जरूरत नहीं है।

अगर लोग आपको नहीं सुनते, तो आप खुद को सुनना शुरू करें। अपने आसपास की महिलाओं को सुनें, समझें, और बिना शर्म व डर के उनका साथ दें। आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा, और आपके साथ जो गलत हो रहा है, वह भी कम होने लगेगा। आप किसी औरत को जलन की नजर से नहीं, बल्कि एक बहन की नजर से देखने लगेंगी। आप उसका दर्द समझ पाएंगी न कि उसे शर्मिंदा करेंगी बल्कि उसका सपोर्ट बनेंगी और उसके पीछे एक मजबूत दीवार की तरह खड़ी होंगी।

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ऐसे में, मां अपनी बेटी की दोस्त बन सकती है।.बहन अपनी बहन का सहारा बन सकती है। सास अपनी बहू को वो इज्जत दे सकती है, जो शायद उसे कभी नहीं मिली। एक महिला दोस्त दूसरी महिला दोस्त के साथ ऐसा रिश्ता बना सकती है, जहां वे खुलकर अपने दुख-दर्द साझा कर सकें। सिस्टरहुड का मतलब है कि महिलाएं एक-दूसरे की ताकत बनें। जब महिलाएं एकजुट होकर खड़ी होती हैं, तब यह औरत-विरोधी सोच ज्यादा देर टिक नहीं सकती।

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