How Women Can Break Stereotypes?: स्टीरियोटाइप थिंकिंग आज भी महिलाओं का पीछा नहीं छोड़ रही है। चाहे आज महिलाएं अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीने लगीं हैं लेकिन समाज में अब भी उन्हें उनकी चॉइस के आधार पर जज करके हरास और एब्यूज किया जाता है।
समाज की परवाह न कर महिलाएं इन स्टीरियोटाइप्स को दें मात
आज महिलाएं हर फील्ड में आगे बढ़ रही हैं। वे हर उस चीज का सामना कर रही हैं जो उनकी ग्रोथ में रुकावट बनती है। पहले महिलाओं को सेक्सुअल भावनाओं को व्यक्त करने की आजादी बिल्कुल भी नहीं थी, उन्हें जज किया जाता है लेकिन अब आप सोशल मीडिया पर देख सकते है कि कैसे महिलाएं सेक्स एजुकेशन, पर्सनल हाइजीन पर बात कर रही हैं।
यह तो औरत है, इससे क्या होगा
आज की महिला सशक्त और आत्मविश्वास से भरी हुई है। उसके अंदर रूढ़िवादी और पित्तरसत्ता सोच से मुकाबला करने की हिम्मत है और अपने अधिकारों को अच्छे से जानती है। इस आत्मविश्वास से औरतें सोलो ट्रैवल और बिजनेस ही नहीं हर मुकाम पर पहुंच रही हैं जहां वो पहुंचाना चाहती हैं।
उम्र तो देखो इसकी
उम्र के लिए महिलाओं को हमेशा ट्रोल किया जाता है। किसी भी काम को करने की कोई उम्र नहीं होती, यह सिर्फ एक नंबर होता है। महिलाओं को अपनी उम्र के कारण अपनी इच्छाओं को मारने की जरूरत नहीं और बहुत सारी महिलाएं ऐसा कर भी रही है। ऐक्ट्रिस नीना गुप्ता की उम्र 64 है लेकिन वह भी जिंदगी को अपनी मर्जी से व्यतीत कर रही हैं। उनकी लाइफ जर्नी लाखों औरतों के लिए मिसाल है।
यह तो पैर की जूती है
आज की महिला अपनी वर्थ जानती है। रिश्ता कोई भी हो लेकिन उन्हें रिस्पेक्ट में कॉम्प्रोमाइज करने की जरूरत नहीं है। रिलेशनशिप में महिलाओं को अपनी टर्म्स को भी बिताना चाहिए ऐसा न लगे कि रिश्ते में सिर्फ एक व्यक्ति के एफर्ट है। शुरू में महिलाओं को पैर की जूती समझा जाता था लेकिन अब महिला ने अपने लिए बोलना शुरू कर दिया है। चाहे आप कितने भी करीबी रिश्ते में हों लेकिन रिस्पेक्ट को कभी भी जाने न दें।
क्या कहेंगे लोग
कुछ हटके या फिर अपनी पसंद का करने पर महिलाएं अक्सर इस बात का तनाव ले लेती हैं कि 'दूसरे क्या सोचेंगे?' लेकिन यह सोचने की जरूरत नहीं है। आप दूसरे के ओपिनियन को इतना वैल्यू मत करें कि आप खुद का अस्तित्व ही भूल जाएं। आप बेस्ट है, कोई भी आपको उतना नहीं जानता, जितना कि आप जानती हैं।
समाज में महिला को हमेशा से प्रताड़ित किया गया है। ज़रूरत है आपको अपनी लाइफ अपनी शर्तों पर जीने की।