Sisterhood: कैसे महिलाओं के एक-दूसरे का साथ देने की शुरुआत घर से ही होती है?

मीडिया ने हमारे आसपास एक ऐसा माहौल बना दिया है, जहां पर यह संदेश दिया जाता है कि एक 'औरत ही औरत की दुश्मन' होती है। जबकि एक औरत से बेहतर दूसरी औरत को कोई समझ ही नहीं सकता।

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Rajveer Kaur
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Photograph: (Canva)

मीडिया ने हमारे आसपास एक ऐसा माहौल बना दिया है, जहां पर यह संदेश दिया जाता है कि एक 'औरत ही औरत की दुश्मन' होती है। जबकि एक औरत से बेहतर दूसरी औरत को कोई समझ ही नहीं सकता। एक औरत जिन-जिन मुश्किलों से गुजरती है और उसे क्या-क्या सहन करना पड़ता है, इसका अंदाज़ा दूसरी औरत ही लगा सकती है। आज हम इस आर्टिकल के जरिए जानेंगे कि कैसे सिस्टरहुड की शुरुआत घर से ही होती है? 

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Sisterhood: कैसे महिलाओं के एक-दूसरे का साथ देने की शुरुआत घर से ही होती है 

सिस्टरहुड हमारे समाज में एक बहुत ही कम प्रचलित शब्द है, जिसका प्रयोग बहुत ही कम किया जाता है। हमारे समाज में 'ब्रो कोड' जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं, जैसे लड़कों की दोस्ती को बहुत ज़्यादा सराहा जाता है। इस बारे में बहुत बातें होती हैं कि लड़के हमेशा एक-दूसरे के लिए खड़े रहते हैं, वे एक-दूसरे से जलन नहीं करते या फिर उनकी दोस्ती बहुत गहरी होती है। लेकिन वहीं महिलाओं के लिए एक गलत धारणा है कि "औरत ही औरत की दुश्मन होती है।" ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। 

सपोर्ट की शुरुआत कहां से हो?

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महिलाएं घर से ही दूसरी औरत का हाथ थामना शुरू कर सकती हैं। घर की चारदीवारी के अंदर जब हम एक-दूसरे का साथ देने लग जाएंगे, तो इसका असर बाहर भी दिखने लग जाएगा। हमारे घर में मां, बहन, दादी और ऐसे कई अनगिनत रिश्ते होते हैं, जो सदियों से चुप रहते आए हैं। उन्होंने कभी अपने लिए बोला नहीं, कभी कुछ कहा ही नहीं।

ऐसे में आप एक ऐसी उम्मीद की किरण बनकर सामने आ सकते हैं, जो उन्हें यह एहसास दिलाए कि उन्हें भी अपने लिए सोचने की ज़रूरत है। वे अपने लिए सोच सकती हैं, अपनी मर्ज़ी का खा सकती हैं, पहन सकती हैं और घूम सकती हैं।

अगली पीढ़ी को उम्मीद देना

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एक मां के रूप में आप अपनी बेटी को वह सब कुछ करने का कॉन्फिडेंस दे सकती हैं, जो शायद आप करना चाहती थीं लेकिन कर नहीं पाईं। एक बहन के रूप में आप दूसरी बहन के लिए वह सपोर्ट सिस्टम बन सकती हैं, जिससे वह समाज के सामने खड़ी हो सके और अपने सपनों को ऊँची आवाज़ में बोल सके और उन्हें पूरा कर सके।

पितृसत्तात्मक सोच से बाहर आना

सदियों से हमेशा ही महिलाओं को एक-दूसरे की दुश्मन बताया गया है। ऐसी बहुत सारी कहानियाँ प्रचलित हैं, जिसमें बताया जाता है कि सास-बहू की आपस में नहीं बनती, या फिर औरत को औरत से ही जलन होती है।लेकिन जब हम घर से ही इन धारणाओं को तोड़ना शुरू कर देंगे और हमेशा एक-दूसरे की सबसे बड़ी ताकत बनेंगे, दूसरी महिलाओं की हिम्मत बनेंगे तो यह सोच अपने आप ही खत्म होने लगेगी।

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सिस्टरहुड एक जिम्मेदारी 

किसी भी चीज़ की शुरुआत हमेशा घर से ही होती है, तो सिस्टरहुड की शुरुआत भी हम घर से कर सकते हैं। इसके लिए हमें कोई बहुत ज़्यादा लोगों को इकट्ठा करने की ज़रूरत नहीं है। हम अपने आसपास की महिलाओं को ही सशक्त कर सकते हैं, उनकी आवाज़ बन सकते हैं और उनका सपोर्ट सिस्टम बन सकते हैं।