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(image source: Pinkvilla)
Is It Easier For Men Than Women?: दुनिया का कहना है कि मर्दों की ज़िन्दगी महिलाओं से तो आसान ही होती है फिर चाहे वो घर पर हो या बाहर की दुनिया में। बचपन से ही घरों में लड़को को जितनी आज़ादी मिलती है, क्या वो लड़कियों को भी मिलती है? लड़कों के लिए अपने चॉइसेस लेना एक बहुत ही आसान और मामूली ऑप्शन होता है क्यूंकि उनके चॉइस को किसी एक्सटर्नल फैक्टर जैसे की लोग क्या कहेंगे और यह करना शोभा नहीं देता घर के बेटों को बहुत ही कम सुनने को मिलता है, हालाकि मैं यह नहीं कह रही की भारत में यह परेशानी लड़कों को फेस करना ही नहीं पड़ता लेकिन महिलाओं के मुकाबले यह बहुत ही कम होता है। यह सवाल की किस जेंडर के लिए चीज़ें आसान है यह बहुत सारे बातों पर निर्भर करता है जैसे कि वो कहाँ रहते हैं, क्या काम करते हैं, उनकी कैसी परिस्तिथि है और वह कैसे इमोशनल स्टेट में हैं। यह जानना आसान नहीं होता लेकिन एक बहुत ही जेनेरिक टर्म में महिलाओं को मर्दों से ज़्यादा समाज से यह सब सुनना और सहना पड़ता है।
क्या औरतों से ज़्यादा मर्दों के लिए लाइफ आसान है?
यह सवाल कि क्या औरतों से ज़्यादा मर्दों के लिए लाइफ आसान है?, यह बहुत ही पेंचीदा सवाल है क्यूंकि लोगों की इसपर अपनी-अपनी राय हैं, महिलाओं को अगर समाज से बहुत ही कुछ सुनना पड़ता है तो मर्दों को भी बहुत ही संघर्ष करना पड़ता है पूरे घर को चलाने के प्रेशर में। मर्द कहेंगे कि उन्हें भी बहुत कुछ सहना पड़ता है, संघर्ष करना पड़ता है और रोटी कामना पड़ता है लेकिन वहीं जब यही बात अगर कोई महिला कहे तो हम यह समझना भूल जाते हैं कि रोटी कमाने के साथ-साथ उसे घर संभालना भी पड़ता है।
यह राय कि किसी एक जेंडर के लिए ज़्यादा आसान है, यह एक पैराडॉक्स है। हर इंसान चाहे लड़का हो या लड़की, सबको अपने हिस्से का संघर्ष करना ही पड़ता है, हालांकि अगर हम अपने समाज के लिए यह थोड़ा सरल करना चाहें तो यह समझना शुरू करदें कि किसी के लिए भी कुछ भी आसान नहीं रहा है। हर व्यक्ति अपनी लड़ाई लड़ रहा है और अगर कुछ सोचना है तो यह सोचे की थोड़ा दयालु होना हर उस संघर्ष करने वाले इंसान के तरफ, एक बड़े दिल वाले का कर्म होगा।