/hindi/media/media_files/2025/04/19/xTz9M0uXF64MraBDHc07.png)
Motherhood tips Photograph: (Freepik)
Motherhood Should Be a Personal Choice Not a Societal Obligation? 11 मई को पूरे विश्व में Mother's Day मनाया जाता है। यह दिन हम अपनी मां के लिए समर्पित करते हैं। साल के 365 दिन होते हैं, लेकिन हमारी मां को एक भी दिन छुट्टी नहीं मिलती। अगर कोई मां वर्किंग है, तो उसे ऑफिस से छुट्टी मिल सकती है, लेकिन मां की जिम्मेदारियों से वह कभी छुट्टी नहीं ले सकती। ऐसे में, क्या आपने कभी सोचा कि हर औरत का सपना "परफेक्ट मां" बनना होता है? क्या यह अपेक्षा वास्तविक है, जिसे हर औरत को निभाना पड़ता है? आइए, आज इस बारे में बात करते हैं और इसे समझने की कोशिश करते हैं।
क्यों माँ बनना एक Choice है न कि बाध्यता? ?
क्या मां बनना हर औरत की जिम्मेदारी है? क्या एक औरत की भूमिका तभी पूरी होती है जब वह मां बनती है? ये ऐसे बड़े सवाल हैं जो समाज में कुछ लोगों को असहज कर सकते हैं या सुनने में अच्छे नहीं लग सकते। लेकिन इन सवालों को पूछना बेहद जरूरी है। मां बनना हर महिला के लिए अनिवार्य नहीं है। यह पूरी तरह से हर महिला की अपनी पसंद है, और इसमें किसी भी तरह की बाध्यता नहीं होनी चाहिए।
माँ बनना देखने में जितना आसान लग सकता है, वास्तव में उतना होता नहीं। इसके लिए एक महिला का भावनात्मक, शारीरिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से तैयार होना बेहद जरूरी है। यह एक ऐसी प्रतिबद्धता है जो पूरी जिंदगी निभानी पड़ती है, और इसे पीछे नहीं लिया जा सकता। अगर एक महिला खुद तैयार नहीं है, तो इसका नकारात्मक प्रभाव आने वाले बच्चे पर भी पड़ सकता है।
दूसरी जरूरी बात यह है कि महिलाओं को अपनी शारीरिक और मानसिक स्थिति के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। क्या उनकी बॉडी गर्भावस्था के शारीरिक बदलावों से गुजरने के लिए तैयार है? क्या वे मानसिक रूप से इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए तैयार हैं? ये ऐसे सवाल हैं जिन्हें हर महिला को खुद से पूछना चाहिए।
समाज में ऐसी कई महिलाएँ हैं जो मानसिक रूप से माँ बनने के लिए तैयार नहीं होतीं, लेकिन शादी के बाद उन पर इतना सामाजिक दबाव डाला जाता है कि उन्हें यह निर्णय लेना पड़ता है। कई बार उन्हें यह महसूस करवाया जाता है कि अगर वे माँ नहीं बनतीं, तो वे "अच्छी औरत" नहीं हैं, या उनके करियर को प्राथमिकता देने को स्वार्थीपन माना जाता है। इस दबाव का उनकी मानसिक सेहत पर गहरा नकारात्मक असर पड़ता है।
मानसिक स्थिरता एक बच्चे के पालन-पोषण और उसे भावनात्मक समर्थन देने के लिए बेहद जरूरी है। इसलिए, माँ बनने का निर्णय एक महिला की अपनी पसंद होना चाहिए, न कि कोई सामाजिक बाध्यता। हर महिला को माँ बनने से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए, और न ही माँ बनना केवल औरत होने की शर्त है। ये जेंडर भूमिकाएँ समाज द्वारा बनाई गई हैं। माँ बनना एक खूबसूरत एहसास है, जो किसी भी व्यक्ति के अंदर हो सकता है—इसके लिए किसी विशिष्ट जेंडर की जरूरत नहीं है।