एक दिन मैंने अपनी मां से पूछा कि आपने काम करना क्यों छोड़ दिया था। तो उन्होंने मुझे बताया कि शादी के बाद मेरे पापा नहीं चाहते थे कि वह काम करें। मैं मेरे पापा को आज भी मम्मी की तारीफ करते हुए सुनती हूं कि -मेरी पत्नी मेरे किसी भी फैसले पर सवाल नहीं उठाती। वह मेरी सभी आज्ञा का पालन करती है इसलिए वह बहुत संस्कारी है। लेकिन क्या शिकायत ना करना और सवाल ना उठाना सही है?
वह बहुत स्ट्रांग है
मैंने मेरी मम्मी को अपनी पूरी जिंदगी किचन में बिताते हुए देखा है। क्या आपने कभी सोचा है कि जिंदगी कैसी होगी अगर आपको हर वक्त एक छोटे से घर में ही रहना पड़े? क्या होगा अगर घर से बाहर निकलना या घूमना केवल साल में एक दो बार हो? मेरी मां को मैंने 20 साल से सुबह से रात तक किचन में ही देखा है।
सुबह हम सबके लिए नाश्ता बनाना, उसके बाद घर की साफ-सफाई फिर खाना फिर रात का खाना और इन सब में ही उनकी पूरी जिंदगी निकल गई। मेरे बड़े से परिवार के सभी लोग जब एक साथ मिलते हैं तो मेरी मम्मी की तारीफ करते हैं। कि वह परिवार में सबसे ज्यादा स्ट्रांग है क्योंकि उन्होंने अपने सास-ससुर का अच्छे से ख्याल रखा, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठाई और घर की सबसे बड़ी बहू भी तो है।
लेकिन स्ट्रांग होने की यह कैसी शर्त है? अगर स्ट्रांग बनने के लिए अपनी इच्छाओं और आजादी को त्याग देना होता है तो मुझे कभी स्ट्रांग नहीं बनना। हम सबके लिए इतना त्याग करने के बाद भी मेरी मां सारे गम और आशु हंसते-हंसते पी जाती हैं। और लोग इसे उनकी शक्ति बुलाते हैं।
ऑफिस के बाद घर का काम?
धीरे-धीरे महिलाएं भी सशक्त हो रही हैं और वह भी नौकरी करती है। लेकिन उन्हें नौकरी करके आने के बाद घर का काम भी करना पड़ता है। मैंने देखा है कि आज भी ज्यादातर घरों में घर का काम करने के लिए किसी को हायर नहीं किया जाता। क्योंकि भारतीय घरों में तो यह जिम्मेदारी केवल एक महिला की ही है।
उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि महिला बाहर भी काम कर के आई है या नहीं। वह महिला से उसकी घर की जिम्मेदारियां पूरी जरूर करवाएंगे। लेकिन यह सब शर्तें पुरुषों पर लागू क्यों नहीं होती? अगर महिलाओं को घर और ऑफिस दोनों संभालना है तो पुरुषों को क्यों नहीं?
स्ट्रांग के लेबल में मजदूरी
भारतीय महिलाओं को स्ट्रांग का लेबल देकर उनसे हर तरह का काम करवा लिया जाता है खास तौर पर घर का काम। लोगों का मानना है कि जो महिलाएं चुपचाप बिना किसी शिकायत के अपने पति, सास ससुर और बच्चों की हर एक छोटी छोटी जिम्मेदारियों का ध्यान रखती है वह स्ट्रांग होती है।
यकीन मानिए कुछ महिलाएं तो इस लेबल से भ्रमित हो चुकी है। उन्हें लगता है कि अगर वह अपनी घरेलू जिंदगी को सही ढंग से नहीं संभाल पा रही हैं तो वह स्ट्रांग नहीं है। स्ट्रांग का यह लेबल उन्हें उनकी खुद की जिंदगी का महत्व भुला देता है। वे भूल जाती हैं कि उनकी भी एक जिंदगी है और उनकी खुद के प्रति भी कोई जिम्मेदारी है।
पति बच्चे और परिवार ही एक औरत के लिए सब कुछ नहीं होता है। आपका कैरियर और आपकी खुशी महत्वपूर्ण है। अगर आपको किसी के फैसले आज्ञा से कोई शिकायत है तो सवाल उठाएं। अपनी खुशी का गला घोट कर चुप्पी साधना आप को स्ट्रांग नहीं बनाता है।