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Societal Pressure Of Marriage: प्रिय माता -पिता, शादी को बोझ मत बनाओ

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क्या आपने कभी सोचा है एक लड़की पर शादी के लिए उसके माता-पिता और घर के बड़े सदस्यों द्वारा कितना दबाव डाला जाता है? एक लड़की के पैदा होते ही मां-बाप उसकी शादी के लिए पैसा जोड़ना शुरु कर देते हैं। बेशक उनके पास अपनी बेटी को पढ़ाने के लिए पैसे ना हो लेकिन वह अपना पेट काटकर भी बेटी की शादी जरूर करेंगे।

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लड़की की शादी कोई बोझ नहीं होती 

हमारे समाज में एक लड़की की शादी पेरेंट्स के लिए एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। जिम्मेदारी नहीं शायद बोझ। क्योंकि वे अपनी बेटी की मर्जी जाने बिना या उसकी राय लिए बिना बस जल्दी से जल्दी उसकी शादी कर देना चाहते हैं। वे पराए धन को विदा कर इस जिम्मेदारी से छुटकारा पाना चाहते हैं।

ऐसा माना जाता है कि बिन ब्याही लड़की एक खुली तिजोरी की तरह होती है जिसे अगर पेरेंट्स के घर में रखा जाए तो उसकी इज्जत को कोई चुरा लेगा। तो वही कुछ रूढ़ीवादी पेरेंट्स यह मानते हैं कि कन्यादान करना किसी व्यक्ति की सबसे बड़ी उपलब्धि है जिसे पाने के लिए उन्हें अपनी बेटी को जल्दी से जल्दी विदा करना होगा।

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बेटी पर अपनी भावनाएं मत थोपो

 पेरेंट्स अपनी खुशी और अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए अपने बेटे की जबरदस्ती शादी भी करवा देते हैं। उन्हें इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उनकी बेटी को शादी करनी है या नहीं। वे बस अपनी जिम्मेदारी से छुटकारा पाना चाहते हैं। लेकिन क्यों जिम्मेदारी का मतलब केवल बेटी की शादी ही है? उसकी पढ़ाई और उसका करियर आपकी जिम्मेदारी क्यों नहीं?

अगर आपको लगता है कि शादी करने से बेटी की जिंदगी संवर जाती हैं तो आप गलत है। क्योंकि अपनी भावनाएं उस पर थोपने से आप उसकी आजादी को छीन रहे हैं। अगर आप अपनी बेटी की लाइफ बनाना चाहते हैं तो उसे पढ़ाने और अपने पैरों पर खड़ा करने का क्यों नहीं सोचते? अगर वह अपने पैरों पर खड़ी होगी तो उसकी जिंदगी वह अपने हिसाब से जी पाएगी। 

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लडकी हाथ से निकल जाएगी

कुछ पेरेंट्स लोगों की बात से बहुत प्रभावित हो जाते हैं। कुछ लोग जो ऐसा कहते हैं की शादी नहीं की तो लड़की हाथ से निकल जाएगी। पेरेंट्स लड़की के बिगड़ने या अपनी इज्जत के डर से उसकी शादी करने की जल्दी मचाते हैं। क्या आपको अपनी परवरिश और बेटी का इतना भरोसा नहीं है? और अगर बात परवरिश की है तो यह डर तो आपका अपने बेटे के लिए भी होना चाहिए।

लेकिन नहीं, यह तो पुरुष प्रधान समाज है। इसमें किसी भी तरह के नियम कानून या फिर बंदिशें केवल एक लड़की के लिए ही होती है। लेकिन मेरा मानना ऐसा नहीं है। वक्त के साथ सब बदलता है। आपको भी खुद को बदलना चाहिए। अपनी बेटी के लिए शादी को करो या मरो की परिस्थिति मत बनाइए।

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आपके जबरदस्ती उस पर थोपे जाने वाले शादी के फैसले से उसकी सेहत और मेंटल हेल्थ पर क्या प्रभाव होगा क्या आपने इसके बारे में सोचा है? चलिए यह तो केवल कुछ दिनों की बात हुई। लेकिन शादी के बाद उसकी जिंदगी और उसके साथ क्या होगा इसका तो ख्याल कीजिए।

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