Rights that every Indian woman must know: भारत हमेशा से पुरुष प्रधान देश रहा है, इतिहास गवाह है कि पुराने भारत में महिलाओं की क्या दशा थी? महिलाओं ने क्या क्या नहीं सहा? पर अब समय बदल गया है, अब महिला भी आदमी के कंधे से कंधा मिला कर चलती हैं। हमारे देश के संविधान ने महिलाओं की दशा देखकर उनको कुछ मौलिक अधिकार प्रदान किए हैं और यह हर औरत की जिम्मेदारी है कि उसे अपने मौलिक अधिकारों की पूर्ण रूप से जानकारी हो, जिससे वह किसी अनहोनी का शिकार न हो सके।
वो मौलिक अधिकार जो हर भारतीय महिला को अवश्य पता होने चाहिए
Equality
Article 14, जिसके अनुसार हर इंसान कानून की नजरों में एक समान है और हर एक को एक समान ट्रीट किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि कानून सभी पर समान रूप से लागू होते हैं, चाहे वह पुरुष हो या महिला।
Right against domestic violence
घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण एक्ट 2005 महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, यौन और आर्थिक शोषण से बचाता है। हर एक महिला अपने साथ हो रहे शोषण और अत्याचार के खिलाफ आवाज उठा सकती है।
Free legal aid
फ्री लीगल एड एक सरकारी कार्यक्रम है जो उन लोगो को निशुल्क कानूनी सेवाए प्रदान करता है जो वकील की फीस नहीं दे पाते। इस एक्ट के अनुसार आप अगर गरीब है और वकील को पैसे नही दे पाते तो सरकार आपको न्याय दिलाने में मदद करती है।
Right to equal pay
1976 के समान पारिश्रमिक एक्ट के अनुसार एंप्लॉयर्स को समान काम के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन देना होगा। एक महिला अगर पुरुष के समान काम कर रही है तो उससे समान वेतन दिया जायेगा।
Right to reproductive rights
सभी महिलाओं और लड़कियों को अपने रिप्रोडक्शन और सेक्सुअल अधिकारों सहित, अपने शरीर के बारे में निर्णय लेने का अधिकार है। आपको कोई बच्चा करने या सेक्सुअल संबंध बनाने के लिए फोर्स नहीं कर सकता, अगर ऐसा किया जाता है तो महिलाएं कानून की मदद ले सकती हैं|
Right against workplace harassment
सेक्सुअल हैरेसमेंट एक्ट महिलाओं को कार्यस्थल पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज करने का अधिकार देता है।
Right to privacy
संविधान का Article 10 हर किसी को अपनी प्राइवेसी का सम्मान करने का अधिकार देता है। इसका मतलब यह है कि किसी व्यक्ति की पर्सनल फ्रीडम के साथ छेड़खानी नही करी जा सकती। प्राइवेसी का अधिकार लोगों को उनके घरों में, उनकी गतिविधियों पर और उनकी व्यक्तिगत पसंद पर निगरानी से बचाता है।
Right against dowry
1961 का Dowry Prohibition Act दहेज देना, लेना या देन- लेन में सहायता करने को गैरकानूनी बनाता है। अधिनियम में कहा गया है कि, अधिनियम का उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को कम से कम पांच साल की कैद और कम से कम 15,000 रुपये जुर्माना लगाया जा सकता है।