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Social Issues: रंग–भेद को बढ़ावा देती है समाज की यह सोच

समाज में यह एक लंबी समय से चली आ रही धारणा है जिसमें गोरी त्वचा सर्वश्रेष्ठ सुंदर और सफल होती है वही सांवली त्वचा‌ असफल और हीनता का नाम दे दिया जाता है। रंगभेद का प्रभाव समाज के सभी हिस्सों में देखने को मिलता है।

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Sneha yadav
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Society Mindset Perpetuating Colour Discrimination

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Society Mindset Perpetuating Colour Discrimination: रंगभेद एक सामाजिक समस्या है जो लंबे समय से हमारे समाज से जुड़ी हुई है। यह सामाजिक समस्याओं के जटिल समस्याओं में से एक हैं। यह समस्या न केवल आपके सोने और व्यवहार करने के तरीके को प्रभावित करती है बल्कि व्यक्ति पर भी बुरा असर डालती है। समाज में यह एक लंबी समय से चली आ रही धारणा है जिसमें गोरी त्वचा सर्वश्रेष्ठ सुंदर और सफल होती है वही सांवली त्वचा‌ असफल और हीनता का नाम दे दिया जाता है। रंगभेद का प्रभाव समाज के सभी हिस्सों में देखने को मिलता है इसका सबसे प्रमुख उदाहरण है मीडिया फ़िल्में और एडवरटाइजमेंट जिसमें प्रमुख रूप से गोरी लड़कियों को आकर्षक समझा जाता है। तो आईए जानते हैं रंग भेद को बढ़ावा देने वाले समाज के कुछ सोच।

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रंगभेद को बढ़ावा देने वाले समाज की 5 धारणाएं 

1. सुंदरता की परिभाषा है रंग 

समाज में लंबे समय से चले आ रहा है कि सुंदरता की जो पहचान है वह रंग से जानी जाती है अगर त्वचा का रंग गोरा है तो वह सुंदर और सर्वश्रेष्ठ है वहीं अगर रंग सांवला है तो आपको सभी चीज में पीछे कर दिया जाता है। सिनेमा, टेलीविजन और एडवरटाइजमेंट मैं अक्सर देखा जाता है कि जो गोरे त्वचा वाली महिलाओं को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ब्यूटी प्रोडक्ट के बाजार में फेयरनेस क्रीम और त्वचा को गोरा करने वाले प्रोडक्ट की मांग इसका परिणाम है।

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2. शादी और रिश्तो में रंगभेद 

शादी और रिश्तो में भी रंगभेद जैसी चुनौतियां हमेशा देखने को मिल जाती है। इस सोच की जड़े गहराई से समाज में जमी हुई है। सांवलिया गहरे रंग के व्यक्ति को समझ में रिश्तों के प्रोस्पेक्टिव से कम आकर्षक माना जाता है। यह विशेष रूप से महिलाओं के लिए हानिकारक होता है क्योंकि उनके विवाह के मौके अक्षरों के रंग पर निर्भर करते हैं। इसके कारण व्यक्ति के आत्म सम्मान में भी कमी देखने को मिलती है। 

3. वर्कप्लेस पर रंग भेद

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वर्कप्लेस पर भी रंगभेद देखने को मिलता है। अगर ध्यान दे तो गोरे रंग वाले लोगों को अधिक आकर्षक माना जाता है जिससे उन्हें बेहतर अपॉर्चुनिटी और पोजीशन मिलने की संभावना अधिक होती है। वही सांवले रंग के लोग अक्सर इग्नोर कर दिए जाते हैं या उन्हें सक्षम नहीं समझा जाता। यह व्यक्ति के क्षमताओं और काबिलियत पर किसी सवाल से काम नहीं होता। इसे आत्म सम्मान और अन्य का प्रतीक माना जाता है। 

4. मानसिक स्वास्थ्य पर असर 

रंगभेद व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। सांवले रंग के व्यक्ति को अक्सर समाज तिरस्कार देती है जिससे उनके आत्मविश्वास में कमी देखने को मिलती है। व्यापारी समाज में भी खुद को अकेला महसूस करते हैं और सामाजिक रूप से खुद को अलग समझते हैं। इस कारण उन्हें मानसिक तनाव डिप्रेशन और आत्म सम्मान की कमी महसूस होती है। इसके कारण वे हमेशा चिंतित और अकेला महसूस करते हैं। 

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5. विटिलिगो और रंगभेद 

विटिलिगो को एक त्वचा रोग है जिसके कारण लोगों को त्वचा पर सफेद धब्बों का सामना करना पड़ता है यह स्थिति समाज में भेदभाव को उभरती है। विटिलिगो से पीड़ित लोगों को अनेक रूप के आधार पर समाज से दूर रहने पर मजबूर कर दिया जाता है। यह सोच और व्यवहार उन्हें मानसिक और भावनात्मक रूप से तोड़ देता है। अक्सर लोग इसे छुआछूत का नाम दे देते हैं जो की बहुत गलत है।

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