तालिबान का नया फरमान: खिड़कियों पर बैन, महिलाओं की आजादी पर एक और चोट

महिलाओं पर तालिबान का अत्याचार जारी है। तालिबान जब से सत्ता में वापस आया है तब से महिलाओं की आजादी दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। जानें कि उनके नवीनतम प्रतिबंध महिलाओं के जीवन और स्वतंत्रता को कैसे प्रभावित कर रहे हैं

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Rajveer Kaur
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The War on Women by the Taliban: ऐसा पहली बार नहीं है कि तालिबान ने महिलाओं के लिए कानून सख्त कर दिए। तालिबान जब से सत्ता में वापस आया है तब से महिलाओं की आजादी दिन-ब-दिन कम होती जा रही है। अगस्त 2021 से तालिबान सत्ता में वापस आया है और उसके बाद उन्होंने महिलाओं के ऊपर काफी प्रतिबंध लगाए हैं जैसे प्राइमरी के बाद लड़कियों के लिए एजुकेशन बैन है, उन्हें काम करने की मनाही है, उन्हें पब्लिक प्लेस या फिर पार्क में जाने की अनुमति नहीं है। हाल ही में जारी किए गए कानून में महिलाओं के गाना गाने पर भी बैन लगाया गया है। इन सब के बाद अब दिसम्बर में तालिबान ने खिड़कियों पर बैन लगा दिया।

तालिबान का नया फरमान: खिड़कियों पर बैन, महिलाओं की आजादी पर एक और चोट

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ऐसे में अब तालिबान ने यह ऐलान किया है कि नए घरों में ऐसी जगह पर खिड़कियां नहीं होनी चाहिए जिसका इस्तेमाल महिलाओं द्वारा किया जाता है जैसे रसोई, आंगन या पानी भरने की जगह। यह आदेश तालिबान के सर्वोच्च नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा द्वारा जारी किया गया है, जिसका उद्देश्य महिलाओं को घर के निजी स्थानों में दिखने से रोकना है, जिसे वे "अश्लील कार्य" के रूप में देखते हैं। यह भी कहा गया है कि मौजूदा घरों में पड़ोसी के घर की तरफ बनी खिड़कियों को दीवार बनाकर बंद किया जाए।

महिलाओं के साथ ऐसी दरिंदगी कब तक रहेगी?

कभी धर्म तो कभी शर्म के नाम पर महिलाओं को हमेशा बाधित किया जाता है। उनसे मौलिक अधिकार ही छीन लिए जाते हैं। घरों में खिड़की का मतलब होता है कि आपके घर में ताजी हवा इंटर हो सके। इससे घर में एक पॉजिटिव माहौल बना रहता हैl अब अफगानिस्तान में महिलाएं ऐसे माहौल में रहेंगी जहां पर वे बाहर की दुनिया से बिल्कुल ही डिस्कनेक्ट हो जाएगी। उनके बाहर जाने पर भी मनाही है और अब उन्हें घर से भी बाहर का नजारा देखने को नहीं मिलेगा।

इससे पता चलता है कि कैसे आज के समय में भी महिलाएं गुलामी की जिंदगी जी रही हैं और उनके पास अपने मौलिक अधिकार भी नहीं हैं। सबसे ज्यादा हैरानी तब होती है जब बहुत सारे लोग ऐसे कानूनों को सही ठहराते हैं और उन्हें लगता है कि महिलाओं के साथ ऐसा ही होना चाहिए। यह ऐसा समय है जब हमें महिलाओं के हकों के बारे में बात करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। अगर महिलाओं का एक हिस्सा सशक्त और आजाद है तो इसका मतलब यह नहीं है कि सभी महिलाएं अपनी मर्जी की जिंदगी जी रही हैं।.अभी महिलाओं की आजादी के ऊपर बहुत सारा काम करने की जरूरत है और इसके लिए सभी को साथ देना चाहिए।

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