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Adulting: बच्चों से अडलटिंग के बारे में बात कब करेंगे?

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Swati Bundela
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बड़े होते-होते  हमने बहुत बार अडलटिंग शब्द सुना होगा लेकिन हमें बड़े होने तक कभी नहीं बताया जाता है कि असलियत में अडलटिंग क्या होता है।क्या सिर्फ़ बड़े होना हाई अडल्ट होता है? नहीं उम्र का 18 साल से बड़ जाना अडलटिंग नही कहलाता। इसके साथ बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ जुड़ी होती है जो ना तो हमें कभी घर पर सिखाई जाती है ना स्कूल में बस यह कह दिया जाता अब तुम बढ़े हो गए अपनी ज़िम्मेदारी समझो लेकिन उन के बारे में बताना कोई ज़रूरी नहीं समझता।

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अडलटिंग क्या है?

अडलटिंग एक ऐसा फ़ेज़ है जिसमें आप अपनी टीनेज से निकल जाते हो। आपके सामने हर चीज़ एक नए तरीक़े से आती है। स्कूल से हम कॉलेज आ जाते है।जब तक आप अपने टीनेज लाइफ़ जीते आपको ज़िंदगी की कठिनाइयों के बारे में नहीं बताया जाता है।तब तक आप ज़्यादातर चीजों के लिए निर्भर होते है।

जब आप अडलटिंग फ़ेस में जाते हो तब आपका सामना वास्तविकता  से होता है। फिर आप जानते हो जैसे हमें बताया जाता है लाइफ़ तो उससे बहुत अलग होती है।

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जब आप अडलटिंग में आ जाते हो तो आपको आधे से ज़्यादा काम खुद करने पड़ते है। अडल्ट बनने के लिए व्यक्ति को स्वतंत्र होना पढ़ता है। हर चीज़ के लिए उसे सक्षम होना पड़ता है।हमारे शैक्षिक संस्थानों को स्थापित हमें हमारी ज़िंदगी में हर चीज़ में सक्षम  और स्थापित बनाने के लिए किया गया था लेकिन उन्होंने शायद ही  हमें इसलिए तैयार किया है ।

अडल्ट होने पर हमें बहुत से टास्क करने पड़ते है जैसे टेक्स पे करना, बैंक में खाता खुलवाना अपने फ़ाइनैन्स को मैनिज करना और सबसे बढ़ी बात अपनी लाइफ़ के फैस्ले खुद लेना लेकिन कोई नही हमें बताता कि आगे जाकर यह सब कुछ भी करना पड़गा

स्कूलों में सिर्फ़ किताबी पढ़ाई पर दिया जाता है ज़ोर

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भारतीय स्कूलों में सिर्फ़ किताबी पढ़ाई पर ज़ोर दिया जाता  है। उन्हें यह नहीं बताया जाता कि दुनिया  वैसी नहीं है जैसे किताबों में दिखाते है। ज़िंदगी में बहुत सी समस्याएँ आएँगी पर आपने उनसे घबराना नहीं है उनका मुक़ाबला करना है।

इसी उम्र में बच्चे उठा लेते है ग़लत क़दम

बहुत से बच्चे इस उम्र में शो-ओफ़ के चक्कर में ग़लत क़दम उठा लेते है। दोस्तों को दिखाने ले लिए नशे का सेवन करने लग जाते है अपनी पढ़ाई की तरफ़ ध्यान नहीं देते।

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पहली बार सेक्स

अडलटिंग एक फ़ेज़ है जब बहुत से बच्चे पहली बार सेक्स करते है। कुछ बच्चे सेक्स तो कर लेते पर बाद में  वे गिल्टी फ़ील करते है जैसे उन्होंने कुछ ग़लत किया हो क्योंकि स्कूल में उन्हें प्रॉपर सेक्स एजुकेशन नहीं दी जाती है।

करियर गाइडेंस

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भारतीय स्कूलों में बच्चों को करियर के लिए कोई गाइडेंस नहीं दी जाती जब बच्चे बड़े होकर कॉलेज में जाते हैं तो तब उन्हें अपना करियर चूज़ करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ता है क्योंकि उनके पास करियर के लिए प्रॉपर एजुकेशन नहीं होती।
कुछ बच्चे  तो ऐसे भी होते हैं उन्हें पता ही नहीं चलता कि उनका इंट्रेस्ट किस चीज़ में  है क्योंकि स्कूल  में कभी उन्हें किताबों से बाहर  सोचने ही नहीं दिया जाता।

यह अडलटिंग के कुछ ऐसे पहलू होते जिन्हें टीनेज लाइफ़ में बच्चों के साथ बाँटा नहीं जाता जो आगे जाकर उनके विकास में बाधा बनता है

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