Advertisment

Role Of Parents In Hindi Cinema: हिंदी फिल्मों में बदलती माँ-बाप की छवि

author-image
New Update
Role Of Parents In Hindi Cinema

हर भारतीय की ज़िंदगी में बॉलीवुड से जुड़ी कोई न कोई याद तो होंगी। बचपन से अब तक बॉलीवुड ने हमें बहुत कुछ दिया है। इसका हमारी लाइफ़ पर भी बहुत प्रभाव पड़ा है। बॉलीवुड में एक वह भी दौर था जब मां-बाप को देवी-देवताओं के सम्मान माना जाता था लेकिन इसके मुक़ाबले  हम आज देखें पिछलें कुछ सालों से  यह संवेदनशीलता  बदल गई है। फ़िल्मों में माता-पिता को ज़्यादा वास्तविक रूप में दिखाना शुरू किया है। आज हम बात करेंगे ऐसी दो फ़िल्मों कि कैसे माता-पिता की छवि को 2 दशक पहले बनी फ़िल्म  से विकसित किया है।

Advertisment

Role Of Parents In Hindi Cinema: बाग़बान मूवी से डार्लिंग्स तक का सफ़र

आज की हिंदी फ़िल्मों में माँ-बाप और बच्चों का रिलेशन काफ़ी अप्डेट हो गया है। 2003 में रवि चोपड़ा की ब्लाक्बस्टर हिट बाग़बान से डार्लिंग पर आ गए है जिसमें पेरेंट्स बच्चों का अपराध में साथ देते है।

बाग़बान मूवी अपने समय की हिट मूवी है। यह मूवी भारतीय समाज पर आधारित है जिसमें बच्चों को अपनी माता-पिता के अनुसार रहना होगा। अगर वो ऐसा नही करेंगे तो समाज के द्वारा बनायीं गई अच्छे बच्चों की डेफ़िनिशन को पूरा नहीं कर पाएँगे। आपको आदर्श बेटा या बहु बनने के लिए लिंग के निर्धारित की गई भूमिकाओं का पालन करना होगा।

Advertisment

2022 में आई डार्लिंगस मूवी की बात करें तो उसमें शमशुनिसा अपनी बेटी के फ़ैसले का सम्मान  करती है।उसे अपनी मर्ज़ी से शादी करने देती है। उसका पति अच्छा नहीं है फिर भी उसमें भी अपनी बेटी का साथ नहीं छोड़ती कि तुमने अपने आप शादी करी  है, अब भुगतो!

हालाँकि वह अपनी बेटी का तलाकशुदा से ज़्यादा अपनी बेटी का विधवा होना अच्छा समझती है।

निर्भर माँ-बाप Vs केपबल सिंगल माँ

Advertisment

हमारे जैसे पित्तरात्मक समाज में शमशु अपनी बेटी बदरू की अकेले पालती है।बदरू की शादी के बाद वह अपना केटरिंग का बिज़नेस करती है। दूसरी तरफ़ अगर हम बाग़बान में देखे अपना सब कुछ छोड़कर अपने बच्चों के साथ रहना चाहते है जब बच्चे उनकी ज़िम्मेदारी से भागते है फिर उनको समझ आता है बच्चों के ऊपर निर्भरता कितनी गंभीर हो सकती है।

Role Of Parents In Hindi Cinema: Patriarchy का विरोध 

बाग़बान में जिसने भी समाज के बनाए नियमो को तोड़ने की कोशिश की उसे बुरा ही दिखाया गया है। उसमें एक सीन दिखाया गया है जिसमें जब लड़की नाइट क्लब में जाती है वहाँ वह उत्पीड़न का शिकार होती है लेकिन फ़िल्म में उस लड़की को ग़लत दिखाया गया है कि अगर वह रात के समय बाहर ना जाती तो उसके साथ कुछ ऐसा ना होता।

Advertisment

जबकि डार्लिंगस मूवी में शमशु अपनी बच्ची की लाइफ़ की कंट्रोल नहीं करती है । वह उसे ज़िंदगी के फ़ैसले लेने देती है चाहे वो सही निकलते है चाहे ग़लत। जब उसकी बेटी का पति ग़लत निकलता वह तब उसे सब कुछ छोड़कर अपने घर आने के लिए कहती है।

Good Parent Vs Bad Parent

जब आप बाग़बान देखेंगे  तो लगेगा कि माँ-बाप में तो कोई कमी हो ही नही सकती। वे हमेशा पर्फ़ेक्ट होते है। वे भगवान स्वरूप होते है। 

Advertisment

अगर हम डार्लिंगस में देखे  तो शमशु का अपना पास्ट है और मूवी में बार-बार अपनी बेटी को अपना पति मारने के लिए कहती है।

Bollywood Movies Role Of Parents In Hindi Cinema
Advertisment