Women: औरत की प्रताड़ना में दूसरी औरत की क्या भूमिका है?

हमारे समाज में जब एक औरत के साथ प्रताड़ना होती है तब कई बार दूसरी औरत उसके सपोर्ट में नहीं खड़ी हो पाती। आज हम इस विषय के बारे में ही बात करेंगे कि जब एक औरत के साथ अन्याय हो रहा होता है तब दूसरी औरत की क्या भूमिका होती है?

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Rajveer Kaur
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(Image Credit: Digital Empowerment Foundation)

What Is The Role Of Other Women In The Harassment Of Women: हमारे समाज में जब एक औरत के साथ प्रताड़ना होती है तब कई बार दूसरी औरत उसके सपोर्ट में नहीं खड़ी हो पाती। आज हम इस विषय के बारे में ही बात करेंगे कि जब एक औरत के साथ अन्याय हो रहा होता है तब दूसरी औरत की क्या भूमिका होती है? आज के समय में औरतें क्या कर रही हैं और उनका क्या रोल होना चाहिए?

Women: औरत की प्रताड़ना में दूसरी औरत की क्या भूमिका है?

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परिवार में एक औरत के कई रूप होते हैं जैसे किसी की मां, बहन, बेटी और पत्नी। इन सब में कई बार वह खुद कौन है उस बारे में भूल ही जाती है। हर कोई उसे अपने ही फायदे के लिए यूज़ कर रहा होता है। औरत से सबकी अपेक्षाएं अलग होती हैं कि वह हमारी जरूरत का ध्यान रखें, जैसा कहते हैं वैसा ही करें, आगे मत बोले, अपनी इच्छाओं को पहल न दें और इन सब में कई बार खुद को ही कहीं पर खो देती है। उसे पता ही नहीं लगता कि उसकी आधी जिंदगी कैसे निकल गई क्योंकि उसे अपने दिल की बात करने वाला कोई नहीं मिलता।

इसके साथ ही कोई भी उसे समझना ही नहीं चाहता है। हर कोई उसे जज कर लेता है या फिर एक औरत का टैग लगाकर उसे वहीं करने को कहता है जो उससे करवाया जा रहा है। ऐसे में दूसरी औरत एक बहुत अच्छी भूमिका निभा सकती है मान लीजिए हमारे समाज में जब किसी लड़की की शादी होती है वह अपने पति से ज्यादा जुड़ी होती है, बाकी रिश्ते उसके लिए बहुत ज्यादा नए होते हैं। उनके साथ घुलने में भी समय लगता है। ऐसे में नन्द और सास को उसके साथ प्यार से पेश आना चाहिए। उसकी जरूरत का ख्याल रखना चाहिए। जब एक औरत दूसरी औरत को साथ देने के लिए आएगी, तब यह समाज और भी खूबसूरत हो जाएगा लेकिन हमारे यहां होता उल्टा है।

महिलाओं की कंडीशनिंग ही ऐसे की जाती है

जब एक महिला के साथ घरेलू हिंसा या फिर दहेज की मांग की जाती है तब दूसरी महिलाएं साथ कम देती है। इसके बजाय कई बार तो वह खुद भी उस महिला की प्रताड़ना में लग जाती है। इसमें कोई भी दूसरी राय नहीं है। हमारे समाज में महिलाओं की कंडीशनिंग ही ऐसी की गई है। आप जितने भी सीरियल उठा कर देख लीजिए सास और बहू का कभी भी प्यार का रिश्ता नहीं दिखाया जाता है। हमेशा सास बहू को तंग कर रही है या फिर बहू के द्वारा सास को तंग किया जा रहा होता है। 

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महिलाओं को कभी भी एक दूसरे का दोस्त या सपोर्टिंग सपोर्ट सिस्टम दिखाकर पेश नहीं किया जाता हैं। उन्हें सिर्फ एक दूसरे के प्रति उल्टा दिखाया जाता है। हमें यह सोच बदलने की बहुत ज्यादा जरूरत है क्योंकि अगर हम चाहते हैं कि महिलाएं सशक्त हो तो एक पहलू यह भी है कि एक महिला दूसरी महिला की प्रताड़ना में एक ऐसी भूमिका निभाई जो दूसरी महिला को सशक्त करें और उसे मजबूत करें।