When Will Women Feel Secure In the workplace? कोलकाता रेप-मर्डर केस के कारण पूरे देश में लोगों को निर्भया केस की याद दिलाई है। इसके कारण अलग-अलग जगहों पर डॉक्टरों की तरफ से प्रदर्शन किए जा रहे हैं। आपको बता दें, कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 9 अगस्त की सुबह सेमिनार हाल में महिला ट्रेनी डॉक्टर मृत पाई गईं। उस समय वह अर्द्ध नग्न थीं और उनसे बुरी तरीके से मारपीट की गई थी। इसके साथ ही उनकी आखों, मुँह और जेनिटल से खून भी आ रहा था।
महिला डाक्टर की रेप के बाद हत्या, कब होंगी महिलाएं workplace पर सुरक्षित?
पीड़िता मेडिकल कॉलेज में पोस्टग्रेजुएट स्टूडेंट थीं। पोस्टपार्टम रिपोर्ट में जो बातें सामने आई हैं, उनके अनुसार, महिला को चिल्लाने से रोकने के लिए उसके नाक और गले को दबाया गया ताकि उसकी आवाज बाहर ना जा सके। इससे थाइरॉएड कार्टिलेज टूट गया। लड़की के पेंट, होंठ, उंगली और बाएं पैर पर चोटें पाई गईं। लड़की चिल्ला न पाएं, इसलिए उसका सिर दीवार के साथ पीटा गया।
सबसे बड़ा सवाल: वर्कप्लेस पर महिलाओं की सेफ्टी
आज के समय में सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अब महिलाएं वर्कप्लेस में भी सुरक्षित नहीं है? अगर इस सवाल का जवाब नहीं है तो यह एक चिंता का विषय है कि महिलाओं उनके काम करने की जगह पर भी सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में समाज, प्रशासन और ऑर्गेनाइजेशन तीनों का फेलियर नजर आता है। अब एक बात यह भी कही जा रही है कि सभी पुरुष ऐसे नहीं होते हैं लेकिन इससे हम इस प्रॉब्लम का ध्यान महिलाओं से हटाकर पुरुषों की तरफ शिफ्ट कर रहे हैं।
इस समय कोलकाता में जो ट्रेजेडी हुई है, वो आपकी मानसिक रूप से हिला कर रख देने वाली है। अगर आप एक औरत हैं तब आपको यह डर बना रहेगा कि क्या अब मैं वर्कप्लेस में भी सुरक्षित हूं? क्या मेरे आस-पास जो पुरुष काम करते हैं, मुझे इनसे डरने की जरूरत है? इन सारे सवालों के जवाब किसी के पास नहीं हैं।
इससे यह भी चांस बढ़ जाते हैं कि इस घटना के बाद बहुत सारे मां-बाप या फिर परिवार अपनी लड़कियों को काम पर जाने से ही रोक दें क्योंकि उन्हें इस बात का भी डर हो सकता है कि हमारी बेटी तो काम की जगह पर भी सुरक्षित नहीं है। हर तरफ से शोषण महिलाओं का ही होता नजर आ रहा है। ऐसे में पुरुषों को महिलाओं का साथ देने की जरूरत है और इस बात की जिम्मेदारी लेने की जरूरत है कि पुरुष महिलाओं को कहीं पर भी सुरक्षित महसूस नहीं करवा पा रहे हैं और हमें इसके ऊपर एक बार नहीं बल्कि बार-बार सोचने कि जरूरत है कि हमें किन चीजों में बदलाव करने की जरूरत है।