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क्यों सिर्फ Traditional Jobs को ही असली जॉब्स होने की इज़्ज़त मिलती है?

भारत एक ऐसा देश हुआ करता आया है जहाँ बच्चा पैदा होते ही उसका प्रोफेशन उसके माँ बाप डिसाइड कर लेते थे। "लड़का हुआ तो इंजीनियर, लड़की हुई तो डॉक्टर", ना जाने कबसे यह सुनते आए हैं और फिर जीवन भर इसी बात का बोझ, वो बच्चे उठाते रह जाते थे।

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Ayushi Jha
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(Image source: Adobe Stock, Reddit)

Why Are Only Traditional Jobs Respected As Real Jobs: भारत एक ऐसा देश हुआ करता आया है जहाँ बच्चा पैदा होते ही उसका प्रोफेशन उसके माँ बाप डिसाइड कर लेते थे। "लड़का हुआ तो इंजीनियर, लड़की हुई तो डॉक्टर", ना जाने कबसे यह सुनते आए हैं और फिर जीवन भर इसी बात का बोझ, वो बच्चे उठाते रह जाते थे। हलाकि सिचुएशन अब बेहतर हो रही है लेकिन पूरी बदल गयी है, ऐसा कहना मुश्किल है। कितने ही घरों में एक सेटल्ड फ्यूचर के नाम पर सिर्फ ट्रेडिशनल जॉब्स जैसे की डॉक्टर, इंजीनियर, लॉयर, आईपीएस, आईएएस जैसे कामों को ही कंसीडर किया जाता है। सरकारी नौकरी वाले लड़कों की शादियों के लिए लाइनें लग जाती हैं। यहाँ तक की कहीं कहीं लड़के की जॉब प्रोफाइल देख कर उसके दहेज़ के अमाउंट भी डिसाइड होते हैं। प्रॉब्लम यहाँ नहीं की लोग यह बनना क्यों चुन रहे हैं या उन्हें ये हाई पेइंग जॉब्स को छोर देना चाहिए, बल्कि यह है की जैसे इन कामों को इज़्ज़त दिया जाता है वैसे ही बाकी सेक्टर के कामों को भी दिया जाना चाहिए। 

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क्यों सिर्फ Traditional Jobs को ही असली जॉब्स होने की इज़्ज़त मिलती है?

यदि कोई बच्चा या युवक, अपने लिए इन ट्रेडिशनल जॉब्स से हट कर कुछ अलग करने की सोचने लगता है तो अक्सर उसे रोकने वाले उसके परिवार के लोग ही होते हैं। कोई आर्टिस्ट अपने पैशन को फॉलो करने पर ना जाने कितने ही बार यह ताना सुनता है कि, "हॉबी तक ही ठीक था, पर ये थोड़ी कोई नौकरी हुई।" समाज के स्टिग्मा के साथ की यह लड़ाई, की यदि कोई कुछ अलग करना चाहे तो उसे भी नौकरी करने का ही दर्जा देना चाहिए, काफी समय से अब चल रहा है लेकिन सोच में बदलाव काफी धीरे ही हो रहा है। 

इंसान यदि अपना पेट पालने के लिए इन ट्रेडिशनल जॉब्स के अलावा भी कोई काम करता है जो की उसे अच्छे पैसे बनाने में मदद ही कर रहा है, तो समाज को अपने अटके हुए सोच को आगे बढ़ाने की बहुत आवश्यकता है क्यूंकि समय बहुत बदल गया है और पहले की तरह सब सिर्फ ऐसे कन्वेंशनल जॉब्स में नहीं है। बदलवा ही संसार और समाज दोनों या नियम है और इसी से सबका कल्याण होना होता है इसलिए इसे स्वीकारें और हर कर्म की इज़्ज़त करना सीखें और सिखाएं।

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