Why Are Wives Still Stuck With The Laundry, Even Though Women Earn As Much As Men? आज के समय में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और पुरुषों के साथ बराबरी का दर्जा पा रही हैं। लेकिन एक क्षेत्र है जहां महिलाएं आज भी पीछे हैं, वह है घर का काम। आज भी ज्यादातर घरों में कपड़े धोने का काम महिलाओं के जिम्मे ही होता है।
क्यों महिलाएं आज भी कपड़े धोने में उलझी रहती हैं, जबकि महिलाएं पुरुषों जितना ही कमाती हैं?
इसका मुख्य कारण यह है की हमारे समाज में महिलाओं की भूमिकाओं को लेकर एक पारंपरिक सोच है। हमारे समाज में यह माना जाता है की महिलाओं का काम घर संभालना है और पुरुषों का काम बाहर जाकर पैसा कमाना है। इसी सोच के कारण महिलाओं पर घर के काम का बोझ अधिक होता है।
एक और कारण यह है की हमारे समाज में महिलाओं और पुरुषों की सामाजिक स्थिति अलग है। महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले अधिक जिम्मेदारियां निभानी होती हैं। उन्हें घर और बाहर दोनों जगह काम करना होता है। इससे उनका समय और भी सीमित हो जाता है और कपड़े धोने जैसे काम उनके लिए और भी मुश्किल हो जाते हैं।
इसके अलावा, हमारे समाज में महिलाओं को लेकर एक यह धारणा भी है की वे पुरुषों से कमजोर हैं। इसी धारणा के कारण उन पर घर के काम का बोझ अधिक डाल दिया जाता है। यह सोचा जाता है की पुरुष कपड़े धोने जैसे काम नहीं कर सकते हैं क्योंकि वे कमजोर नहीं हैं।
लेकिन यह सोच गलत है। महिलाओं और पुरुषों में कोई शारीरिक या मानसिक अंतर नहीं है। दोनों ही एक समान हैं। दोनों ही किसी भी काम को कर सकते हैं। तो फिर क्यों कपड़े धोने का काम सिर्फ महिलाओं के जिम्मे ही हो?
आज के समय में महिलाएं पुरुषों जितना ही कमाती हैं। तो फिर क्यों उन पर घर के काम का बोझ अधिक हो? यह सोच बदलने की जरूरत है। कपड़े धोने का काम पति-पत्नी दोनों का होना चाहिए। दोनों को मिलकर यह काम करना चाहिए। इससे महिलाओं का समय बचेगा और वे अपनी ऊर्जा अन्य कामों में लगा सकेंगी।
कैसे महिलाओं को कपड़े धोने जैसे घर के कामों से मुक्त किया जा सकता है?
- पुरुषों को कपड़े धोने जैसे घर के कामों में भाग लेना चाहिए।
- समाज में महिलाओं और पुरुषों की भूमिकाओं को लेकर पारंपरिक सोच को बदलना चाहिए।
- महिलाओं की सामाजिक स्थिति में सुधार करना चाहिए।
- महिलाओं के लिए घर के कामों में मदद के लिए घरेलू सहायिका जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराना चाहिए।
यह समय है की हम अपनी सोच बदलें और महिलाओं को कपड़े धोने जैसे घर के कामों से मुक्त करें। महिलाओं को भी पुरुषों की तरह अपनी जिंदगी को अपने तरीके से जीने का हक है।