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आज के समय में भी जब लड़कियाँ हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ रही हैं, तब भी कुछ लोगों की सोच नहीं बदली। वे अब भी सवाल करते हैं ‘लड़की को पढ़ा-लिखाकर क्या करोगे?’ यह सवाल सिर्फ एक लड़की से नहीं, बल्कि पूरे समाज से जुड़ा हुआ है। जब लोग इस तरह की बातें करते हैं, तो वे यह साबित करने की कोशिश करते हैं कि एक लड़की की ज़िंदगी की सबसे बड़ी उपलब्धि शादी और घर संभालना ही है। लेकिन क्या यह सच में इतना सीमित होना चाहिए?
इस सोच का जवाब देने के कई तरीके हैं। लेकिन सबसे पहले हमें समझना होगा कि यह सवाल सिर्फ शिक्षा पर नहीं, बल्कि एक लड़की की पूरी ज़िंदगी के अधिकारों पर उठाया जाता है। तो आइए, देखते हैं कि इस मानसिकता को कैसे बदला जा सकता है।
'लड़की को पढ़ा-लिखाकर क्या करोगे?' इस सोच को जवाब देने के 5 तरीके
1. पढ़ाई सिर्फ नौकरी के लिए नहीं होती, बल्कि आत्मनिर्भर बनने के लिए होती है
अक्सर लोग यह मानते हैं कि अगर लड़की को पढ़ाया जा रहा है, तो उसका सिर्फ एक ही मकसद होना चाहिए नौकरी करना। और अगर लड़की नौकरी नहीं करती, तो उनकी नज़र में उसकी पढ़ाई 'बेकार' हो जाती है। लेकिन यह सोच ही गलत है। पढ़ाई सिर्फ पैसे कमाने का जरिया नहीं, बल्कि सोचने-समझने की ताकत देने का माध्यम है। एक शिक्षित लड़की आत्मनिर्भर होती है, अपने अधिकार पहचानती है और ज़िंदगी के छोटे-बड़े फैसले खुद ले सकती है। वह किसी पर निर्भर नहीं रहती और ज़रूरत पड़ने पर अपने परिवार का भी सहारा बन सकती है।
2. शिक्षित महिला एक शिक्षित पीढ़ी को जन्म देती है
कहते हैं कि अगर आप एक लड़की को पढ़ाते हैं, तो आप एक पूरे परिवार को शिक्षित करते हैं। एक पढ़ी-लिखी महिला अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और बेहतर शिक्षा दे सकती है। वह उन्हें सही-गलत में फर्क करना सिखा सकती है, उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कर सकती है और एक स्वस्थ समाज की नींव रख सकती है। यही वजह है कि जब कोई कहता है, 'लड़की को पढ़ाकर क्या करोगे?' तो जवाब साफ है एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए।
3. शिक्षा से लड़की अपने हक के लिए लड़ सकती है
भारत में अब भी कई जगहों पर लड़कियों को उनके बुनियादी अधिकारों से वंचित रखा जाता है। कम उम्र में शादी, दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा और लिंगभेद जैसी समस्याएँ अब भी मौजूद हैं। लेकिन एक शिक्षित लड़की इन अन्यायों को सहने के बजाय उनके खिलाफ आवाज़ उठा सकती है। वह अपने अधिकारों को समझती है और खुद के लिए सही फैसले ले सकती है।
4. पढ़ी-लिखी लड़की परिवार और समाज दोनों को आगे बढ़ाती है
यह मानना कि लड़की की पढ़ाई सिर्फ उसके लिए फायदेमंद है, पूरी तरह गलत है। जब एक लड़की शिक्षित होती है, तो उसका पूरा परिवार आगे बढ़ता है। वह अपने माता-पिता की देखभाल कर सकती है, अपने भाई-बहनों को आगे बढ़ने में मदद कर सकती है और समाज में भी सकारात्मक बदलाव ला सकती है। इतिहास इस बात का गवाह है कि जब भी महिलाओं को शिक्षा का अवसर दिया गया, उन्होंने समाज को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
5. शादी और घर सँभालना ही ज़िंदगी का लक्ष्य क्यों हो?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिर लड़कियों की ज़िंदगी का लक्ष्य सिर्फ शादी और घर सँभालना ही क्यों माना जाता है? क्या एक लड़का सिर्फ इसलिए पढ़ता है कि वह परिवार चला सके? अगर नहीं, तो लड़की के लिए यह सोच क्यों? हर व्यक्ति को अपनी ज़िंदगी अपनी शर्तों पर जीने का हक है। एक लड़की पढ़-लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, पत्रकार, नेता या कुछ भी बन सकती है। शादी उसका एक निजी फैसला हो सकता है, लेकिन उसे सिर्फ इस एक कारण से शिक्षा से वंचित रखना एक अपराध से कम नहीं।
अगर आज भी कोई पूछता है, ‘लड़की को पढ़ा-लिखाकर क्या करोगे?’ तो इसका जवाब सीधा और स्पष्ट है उसे आत्मनिर्भर बनाने के लिए, उसे अपने अधिकारों से परिचित कराने के लिए, और एक बेहतर समाज बनाने के लिए। यह सोच बदलनी ज़रूरी है, क्योंकि एक शिक्षित लड़की सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए बदलाव लाती है। अब समय आ गया है कि इस सवाल को ही बेमतलब बना दिया जाए, ताकि अगली पीढ़ी को यह सफाई देने की ज़रूरत ही न पड़े।