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इस बात में कोई शक नहीं कि समाज को आज भी वही औरतें पसंद आती हैं जो आज्ञाकारी हों, सही-गलत में फर्क न करें, सब कुछ चुपचाप सहन करें और अपने लिए स्टैंड न लें। लेकिन जब एक औरत पढ़-लिखकर अपने लिए बोलना शुरू कर देती है, अपने साथ हुए गलत के बारे में खुलकर बात करती है और बिना डरे अपनी आवाज़ उठाती है चाहे सामने कैमरा हो या भीड़ तो ऐसी औरतें समाज को खटकने लगती हैं। आज हम इस टॉपिक पर बात करेंगे
औरत के Ambitious होने से आज भी समाज असहज क्यों हो जाता है?
समाज एंबिशियस महिलाओं को अलग-अलग नामों से बुलाने लगता है और उनके चरित्र पर उंगलियाँ उठाई जाती हैं। समाज को वही औरतें पसंद आती हैं जो त्याग करने को हमेशा तैयार रहें न कि वो जो अपने सपनों और जीवन को अपनी शर्तों पर जीना चाहती हैं। जब कोई लड़की कहती है कि उसे घूमना है, करियर में ग्रोथ चाहिए, बच्चे नहीं चाहिए, शादी नहीं करनी या फिर अपनी ज़िंदगी अपने टर्म्स पर जीनी है तो समाज का रटा-रटाया सवाल होता है, “तो फिर घर कौन संभालेगा?” या “शादी नहीं करोगी तो ज़िंदगी कैसे कटेगी?”
जब लड़के करियर की बात करते हैं, तो उन्हें पैशनेट और मेहनती कहा जाता है। लेकिन वही अगर लड़की देर तक काम करे या करियर को प्राथमिकता दे तो कहा जाता है कि वो ‘घर की ज़िम्मेदारियाँ भूल गई है’।
बचपन से शांत और चुप रहना सिखाया जाता है
बचपन से ही भारतीय घरों में महिलाओं को सिखाया जाता है कि त्याग कैसे करना है, हमेशा शांत कैसे रहना है, गलत होते हुए भी चुप कैसे रहना है, दूसरों को खुश रखना है, ज़्यादा हँसना नहीं है, मनपसंद कपड़े नहीं पहनने हैं और ‘घर की इज़्ज़त’ बनाए रखनी है। लेकिन जब एक महिला इन सामाजिक नियमों को तोड़कर अपने सपनों के पीछे चलती है तब वह यह नहीं सोचती कि लोग क्या कहेंगे, उसे क्या पहनना चाहिए, कितना बोलना या हँसना चाहिए तो ऐसी औरतों को ‘स्वार्थी’, ‘घमंडी’ या ‘बोलने वाली’ कहा जाता है। लोग कहते हैं कि ऐसी औरतों का ‘घर नहीं बसता’, ये ‘घर तोड़ने वाली’ होती हैं। और ऐसी लड़कियों को देखकर समाज कहता है, “इसे कौन बहू बनाएगा?”