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Why is housework still a woman's responsibility: जैसे जैसे समय बिता महिलाओं की भूमिकाओं में नए जिम्मेदारियों जुड़ती गई। लेकिन शायद ये जिम्मेदारियां कम नहीं हुई। इसलिए आज भी एक कामकाजी महिला से उम्मीद की जाती है कि वो घर के सारे कामों में जिम्मेदारी ले। लेकिन क्या बदलते जमाने में अभी तक ये बदलाव आना जरूरी नहीं है? जहां एक तरफ महिलाएँ हर क्षेत्र में आगे आ रही वहीं एक समाज ऐसा भी है घर का काम करना महिलाओं की जिम्मेदारी समझता है। उनके अनुसार घर के सभी काम, बच्चो की देखभाल के साथ परिवार और पति का ख्याल रखना सिर्फ और सिर्फ महिला की जिम्मेदारी है फिर चाहे वो हाउसवाइफ (housewife ) हो या वर्किंग वुमेन (working women)। ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर कब तक?
आखिर कब तक महिलाएं सिर्फ इन जिम्मेदिरयों से बँधी रहेंगी? क्या घर के पुरूषों का फर्ज नहीं बनता की घर के काम में वो महिलाओं का हाथ बँटाए? आइए जानते है कि क्यों आज तक महिला के लिए घर के काम करना आज तक जिम्मेदारी समझा जाता है?
महिलाओं के लिए घर के काम को जिम्मेदारी समझे जाने के कारण
1. रूढ़ीवादी धारणा
भारत में शुरू से ही ये रूढ़ीवादी धारणा रही है कि एक महिला का काम घर संभालना है और पुरूष का काम पैसे कमाना है। ऐसे में समय तो बदला लेकिन इस धारणा में परिवर्तन बहुत कम देखने को मिला। जिस कारण आज भी कई घरों में घर के कामों को लेकर महिलाओं की ही जिम्मेदारी समझी जाती है। हाल ही में आई मिसेज मूवी इसी धारणा को प्रस्तुत करती है।
2. अलग जेंडर रोल
अगर घर में बेटी पढ़ भी रही है तो उसे बचपन से ही घर के काम सिखाए जाते है। उन्हें बताया जाता है कि घर का काम उनकी जिम्मेदारी है, जबकि लड़कों को इससे दूर रखा जाता है। इससे एक मानसिकता बन जाती है कि घरेलू कार्य "महिलाओं का काम" है। जो आगे चलकर स्वभाव में झलकने लगती है।
3. सोशाइटल प्रेशर
समाज अक्सर महिलाओं को "अच्छी बहू", "अच्छी पत्नी", या "अच्छी मां" के रूप में देखता है, और इन भूमिकाओं से यह एक्सपेक्टेशन की जाती है कि वे घर का सारा काम संभालें, भले ही वे वर्किंग वुमेन हो लेकिन घर का काम करना जरूरी है। भले ही वो ऑफिस से कितनी मेहनत करके थक कर आई हो उसे मेहनत करना जरूरी है।
4. घर के काम को काम न मानना
घर के काम को आमतौर पर "काम" नहीं माना जाता, क्योंकि इसके लिए तनख्वाह नहीं मिलती। इसलिए पुरुषों को लगता है कि ये काम आसान हैं और महिलाएं इन्हें ही करें। ऐसे में उनके इस काम को कमतर समझा जाता है जबकि यह थकाऊ और समय लेने वाला होता है।
5. पुरूष इससे भागते है
आज भी कई पुरुष घर के काम में भाग नहीं लेना चाहते है, चाहे वे शिक्षित हों । इसका एक कारण यह भी है कि उन्होंने कभी इसकी आदत नहीं डाली और यह जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं पर छोड़ दी। इससे उन्होंने इस विषय में कभी कोई कदम नहीं उठाया और वो इसको एक गैर जरूरी काम मानकर इसे जाने दिया।
समाज में धीरे-धीरे बदलाव आ रहे हैं, लेकिन अब भी मानसिकता और व्यवहार में बहुत सुधार की आवश्यकता है। घरेलू कार्य सिर्फ महिलाओं की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि परिवार के सभी सदस्यों की साझा जिम्मेदारी होनी चाहिए।