Role of Parents: आज भी समाज में माता-पिता की भूमिकाओं में अंतर क्यों?

माता पिता का किरदार एक बच्चे के जीवन में सबसे अहम होता है, जहाँ एक तरफ बच्चे की माँ को बच्चे का पालन करने वाला माना जाता है वहीं पिता को बच्चो के लिए कमाने वाला। ऐसे में सवाल ये उठता है कि माता पिता की भूमिकाओं में अब भी इतना अंतर क्यों है।

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Simran Kumari
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Why is there a difference in the roles of parents in society till date: समाज में माता और पिता दोनों की भूमिकाएं महत्वपूर्ण होती हैं, लेकिन वर्षों से इन भूमिकाओं को अलग-अलग नजरिये से देखा गया है। जहां एक माँ को संवेदनशील, पालन-पोषण वाली भूमिका में देखा गया, जबकि पिता को अनुशासन और कमाई का जिम्मेदार समझा गया। समय के साथ बदलाव जरूर आया है, लेकिन अब भी यह अंतर साफ दिखाई देता है।

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ऐसे में आज भी बच्चों की जिम्मेदारी ओर उनका पालन पोषण मां पर डाल दी जाती है और उसके बिगड़ने पर भी मां को जिम्मेदार ठहराया जाता है, वहीं पिता को एक ऐसी भूमिका में देखा जाता है जहां वो अपने बच्चों को लेकर इमोशनल नहीं हो सकते, वरना समाज उन्हें कमजोर होने के ताने देता है। ऐसे में आइए जानते है 5 ऐसे प्रमुख कारण, जिनकी वजह से आज भी माता-पिता की भूमिकाएं समाज में अलग-अलग समझी जाती हैं।

आज तक समाज में माता-पिता की भूमिकाओं में अंतर क्यों?

1. पारंपरिक सोच 

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सदियों से चली आ रही धारणाएं, जहाँ पिता को 'मुखिया' औरमाँ को 'संरक्षक' माना गया। ऐसे में वक्त तो बीता लेकिन आज भी समाज इस पारंपरिक सोच से बाहर नहीं आ पा रहा कि माता पिता की भूमिका में काफी अंतर है।

2. आर्थिक जिम्मेदारी का बोझ 

पुरुषों को कमाने और घर चलाने की जिम्मेदारी दी गई, जिससे उनका व्यवहार कठोर समझा गया। ऐसे में ऐसा मान लिया जाता है कि पिता का ही फर्ज है कि वो अपने बच्चों का पेट भरे, उसे पढ़ाए लिखाए। 

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3. संवेदनशीलता को जेंडर से जोड़ना 

आज भीसमाज में अगर कोई पिता अपने बच्चों को लेकर इमोशनल हो जाए तो उसे कमजोर कहा जाता है क्योंकि भावनात्मक इन बातों को अक्सर जेंडर के चश्मे से देखा जाता है जहां सिर्फ मां अपने बच्चों को इमोशंस दिखा सकती है। वहीं पिता का इमोशन सिर्फ गुस्सा है। 

4. मीडिया और सिनेमा की छवि 

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फिल्मों और धारावाहिकों में माँ को त्यागमूर्ति और पिता को अनुशासनप्रिय दिखाया जाता है। ऐसे में लोगों में ऐसी ही बातें रहती है कि माता पिता की छवि और भूमिका बहुत अलग है।

5. समय की भागदौड़

पिता अक्सर परिवार के लिए समय नहीं निकाल पाते, जिससे उनकी भूमिका दूर की लगती है। ऐसे में ये मान लिया जाता है कि पिता बच्चों के करीब कभी हो ही नहीं सकता और वो समाज के नजरों में एक अच्छा पिता कहलाता है। ऐसे में समाज में फैली इस धारणा को खत्म करने की जरूरत है जहां एक मां और पिता की जिम्मेदारियों भले ही अलग रहे लेकिन दोनों अपने बच्चों से सामान भावनाएं व्यक्त कर पाए। 

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