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Opinion: केवल महिलाएं ही फेमिनिस्ट हो सकती हैं?

हमारे समाज में फेमिनिज्म के बारे में बहुत गलत धारणाएं हैं। उनमें से एक यह भी है कि सिर्फ महिलाएं ही फेमिनिस्ट होती हैं। इसका मतलब यह है कि हमें फेमिनिज्म का मतलब ही नहीं पता है। हमें लगता है कि फेमिनिज्म सिर्फ महिलाओं की बात करता है।

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Rajveer Kaur
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Feminism

Why Only Women Should Be Feminist: हमारे समाज में फेमिनिज्म के बारे में बहुत गलत धारणाएं हैं। उनमें से एक यह भी है कि सिर्फ महिलाएं ही फेमिनिस्ट होती हैं। इसका मतलब यह है कि हमें फेमिनिज्म का मतलब ही नहीं पता है। हमें लगता है कि फेमिनिज्म सिर्फ महिलाओं की बात करता है लेकिन यह सिर्फ एक पहलू है। फेमिनिज्म उन सभी वर्गों की बात करता है जिन्हें बराबरी नहीं मिलती और उनके अधिकार छीन लिए जाते हैं फिर चाहे पुरुष महिला या फिर एलजीबीटी हों। फेमिनिज्म सभी के अधिकारों की बात करता है।

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Opinion: केवल महिलाएं ही फेमिनिस्ट हो सकती हैं?

यह एक मिथ है कि महिलाएं ही फेमिनिस्ट हो सकती है। जो व्यक्ति बराबरी की वकालत करता है वह सब फेमिनिस्ट हो सकते हैं। फेमिनिज्म सभी के अधिकारों की बात करता है। अगर कोई यह कहता है कि फेमिनिज्म महिलाओं महिलाओं की ज्यादा बात क्यों करता है तो उन्हें यह समझ लेना चाहिए कि औरतों को आज भी बराबरी नहीं मिली है। लड़कियों को जन्म से पहले ही मार दिया जाता है। दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा, शारीरिक हिस्सा और मेंटल एब्यूज अभी भी प्रचलित है। इसके अलावा फेमिनिज्म टॉक्सिक मर्दानगी का बहिष्कार करता है। मर्दों को भी रोने की आजादी होनी चाहिए। घर की जिम्मेदारियां अकेले मर्दों पर नहीं होनी चाहिए, मर्दों को भी अपने भावनाओं को व्यक्त करने का अधिकार है। एक महिला अगर बाहर जाकर काम कर सकती है तो एक पुरुष घर को संभाल सकता है। 

शारीरिक बराबरी नहीं मनोवैज्ञानिक स्तर समान है

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अब कुछ लोग यह भी कहते हैं कि फेमिनिज्म शारीरिक बराबरी की बात करता है लेकिन यह तो बहुत बेसिक जानकारी है कि महिला और पुरुष की एनाटॉमी बहुत अलग होती है। उसमें बराबरी आ ही नहीं सकती। अगर एक महिला प्रेग्नेंट हो सकती है लेकिन पुरुष नहीं हो सकता। इसमें बराबरी करना बिल्कुल लॉजिकल बात नहीं है। फेमिनिज्म कहता है, एक जैसे काम के लिए पुरुष को ज्यादा पैसे मिलते तो महिला को कम क्यों? महिला और पुरुष की शारीरिक क्षमताओं में फर्क हो सकता है लेकिन जब दिमाग की बात आती है तब दोनों एक जैसे काम करते हैं फिर उसके आधार पर असमानता क्यों?

फेमिनिज्म की लड़ाई मर्दों से नहीं है

यह बहुत बड़ी एक मिथ है। हमारी लड़ाई उन सामाजिक नीतियों से है जो सदियों से चली आ रही है जिसने महिला और पुरुष में फर्क किया है। हमारी लड़ाई किसी जेंडर से नहीं है। यह सोच की लड़ाई है और सोच किसी की भी छोटी हो सकती है। हमें उसे छोटी और तंग सोच को बदलना है। इसके लिए हमें जेंडर से ऊपर होकर सोचना पड़ेगा।

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