Why Society Questions Women For Being Unmarried And Childless? हमारे समाज में महिलाओं के जीवन के निर्णयों को लेकर कई तरह की समस्याएं और पूर्वाग्रह हैं। चाहे वह शादी करने का फैसला हो या बच्चे पैदा करने का, महिलाओं पर हमेशा समाज का दबाव बना रहता है। यदि एक महिला शादी नहीं करती है या शादी के बाद बच्चे नहीं पैदा करती है, तो उसे कई तरह की आलोचनाओं का सामना करना पड़ता है। यह मानसिकता महिलाओं के आत्मनिर्भरता और स्वतंत्रता के खिलाफ है।
महिलाओं के शादी और बच्चों के बिना जीवन जीने पर क्यों उठते हैं सवाल?
अगर कोई महिला 30 के बाद भी अविवाहित रहती है, तो परिवार और समाज में उसे लेकर चिंताएं बढ़ जाती हैं। भले ही वह कितनी ही आर्थिक रूप से स्वतंत्र क्यों न हो, परिवार और समाज को लगता है कि उसकी शादी हो जानी चाहिए। उसे समाज का ताना और अवांछित सुझाव मिलते हैं। यह समस्या सिर्फ हमारे समाज में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में भी है।
हाल ही में, अमेरिकी सिंगर और सॉन्गराइटर टेलर स्विफ्ट को 34 साल की उम्र में अविवाहित और बिना बच्चों के होने के कारण आलोचना का सामना करना पड़ा। एक ओप-एड लेखक ने उनकी इस स्थिति को लेकर उन्हें गलत आदर्श बताया। टेलर स्विफ्ट ने कई लड़कों को डेट किया है, लेकिन शादी नहीं की है। हालांकि विवाह और बच्चे पैदा करना कोई साधारण कार्य नहीं है, बल्कि यह एक सुखद, स्थिर और खूबसूरत यात्रा है।
सिर्फ महिलाओं को क्यों दोष दिया जाता है?
रिश्ते या शादी दोनों ही साझेदारों की सहमति से होते हैं। यदि वे सोचते हैं कि शादी उनके लिए नहीं है या वे इसके लिए तैयार नहीं हैं, तो यह उनका व्यक्तिगत निर्णय होता है। यह उनकी निजी जिंदगी का हिस्सा है। अपने रिश्तों को कैसे संभालना है या इसे आगे ले जाना है, यह दोनों साझेदारों की सहमति से होता है। फिर सिर्फ महिलाओं को क्यों दोष दिया जाता है?
हमारे समाज में महिलाओं को अपने लिए निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। विकल्प केवल लड़कों के पास ही होता है। यदि कोई महिला सफल हो जाती है, तो लोग कहने लगते हैं कि वह अपने बॉस के साथ सोई होगी। लेकिन अगर एक पुरुष सफल हो जाता है, तो उसकी मेहनत की तारीफ होती है। इसे हम सरल शब्दों में दोगलापन कहते हैं।
इतनी उम्मीदें सिर्फ महिलाओं से ही क्यों?
परिवार और समाज को लगता है कि महिलाएं अकेले नहीं जी सकतीं, उन्हें किसी पुरुष का सहारा चाहिए। अगर महिलाओं को शुरू से परिवार और समाज का थोड़ा भी समर्थन मिल जाता, तो आज लिंग समानता के ऊपर इतने सवाल नहीं उठाए जाते। शादी और शादी के बाद बच्चे होने का समाजिक दबाव महिलाओं पर पड़ता है। शादी करने वाली महिलाओं से अपेक्षा की जाती है कि वे नौकरी छोड़ दें, शादी हो गई तो बच्चा कर ले। हम यही बातें लड़कों से क्यों नहीं कहते कि तुम शादी करने वाले हो तो नौकरी छोड़ दो, शादी हो चुकी और बच्चे भी हैं तो बच्चों का ध्यान तुम रखो। इतनी उम्मीदें सिर्फ महिलाओं से ही क्यों?
बहुत से पुरुष हैं जो 30 के बाद भी अविवाहित हैं। अगर वे 40 के बाद भी शादी कर लें, तो उनके ऊपर कोई आलोचना नहीं होती, लेकिन अगर एक महिला 40 के बाद शादी करती है, तो उसकी आलोचना का एक सेकंड नहीं लगता। यदि महिला अपने से ज्यादा उम्र वाले पुरुष से शादी करती है, तो उसे 'गोल्ड डिगर' कहा जाता है और अगर कम उम्र वाले से शादी करती है, तो 'शेमलेस'।
जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी, तब तक चाहे कितने भी विचारशील ब्लॉग, कॉलम या पोस्ट लिख लें, महिलाओं के प्रति यह रूढ़िवादी सोच वही की वही रहेगी। महिलाओं को उनके जीवन के निर्णय लेने का पूरा अधिकार होना चाहिए और समाज को उनके व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। हमें अपनी सोच में बदलाव लाने की जरूरत है ताकि महिलाएं बिना किसी दबाव के अपने जीवन को जी सकें और अपने निर्णय स्वयं ले सकें।