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"लड़की पढ़ेंगी तो भाग जाएगी" यह वाक्य सुनते हीं, मन में उथल-पुथल चलने लगती हैं और प्रश्न आता हैं, क्यों ? और किसलिए? क्या जीवन का अर्थ और उद्देश्य बस इतना ही सीमित हैं ? दरअसल, यह भागने से ज्यादा स्वतंत्रता से डरने की गहरी और पीड़ित सोच को दर्शाता हैं। यह उस समाज की मानसिकता हैं जो आज भी नारी को वस्तु की तरह देखता हैं और उसकी स्वतंत्रता को नए आयाम की तरह नहीं उनकी मान्यताओं और रुढ़िवादी विचारधारा पर प्रश्न की तरह देखता हैं। समाज आज भी शिक्षा के अधिकार को उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जोड़ता हैं। एक महिला का शिक्षित होना उसके साथ साथ समाज को सही मार्गदर्शन के लिए आवश्यक हैं, पर इस समाज की सोच आज भी ऐसी हैं क्यों ?
Female Literacy: "लड़की पढ़ेगी तो भाग जाएगी" समाज में आज भी ऐसी सोच क्यों?
पित्रसत्ता(patriarchy) का भय
पढ़ी लिखी लड़की अक्सर स्वतंत्र विचारधारा को अपनाती हैं जिससे उसके मन में जिज्ञासा उठती हैं और साथ ही रुढ़िवादी मान्यताओं के लिए प्रश्न भी, उसका प्रश्न पूछना और निर्णय लेना अक्सर परिवार और समाज को असहज करता हैं।
इज्जत का बोझ
लड़की की शिक्षा को परिवार की प्रतिष्ठा से जोड़ा जाता हैं और ज्ञान उसे स्वतंत्रता देता हैं जो समाज की नजर में बिगाड़ना जैसे देखा जाता हैं। जब भी उसका प्रश्न उनकी विचारधारा पर होता हैं तो उनके अभिमान को चोट पहुँचती हैं जो हमेशा इज्जत से जोड़ा जाता हैं।
संस्कृति जो नियंत्रण को बढ़ावा दें
परंपरा के नाम पर लड़की की सोच, उड़ान और उसके मूल अधिकारों का शोषण किया जाता रहा हैं। और आज भी ऐसी परंपरा नारी के अधिकारों का भक्षण कर रहीं हैं।
शिक्षा और आत्मनिर्भरता
सोचने की क्षमता
शिक्षा ज्ञान की वृध्दि के साथ साथ सोचने, समझने और निर्णय लेने की क्षमता का विकास करती हैं वहीं वास्तविक स्वतंत्रता हैं जो उनमें चेतना का विस्तार करती हैं।
आत्मनिर्भरता
शिक्षा(education)नारी को स्वतंत्र बनाती हैं और आत्मनिर्भर करतीं हैं- वह आवाज उठाना सीखतीं हैं चाहे वह परिवार हों या समाज हों।
सुरक्षा और समझ
Educated लड़की अपने निर्णय लेने के साथ साथ डिजिटल दुनिया में अपने हक के लिए लड़ सकती हैं और सुरक्षा के उपाय अपना सकती हैं। और मानसिक स्वास्थय को समझ सकती हैं, इसके साथ ही वह दूसरों को भी सशक्त बना सकती हैं।
सोच कैसे बदलेगी?
आज ऐसे successful women हैं जिन्हें समाज role model के रूप में ले सकता हैं, और यह सोच को ललकार रहीं हैं कि शिक्षा उच्च स्तर की पहुँच हैं और वह स्वतंत्रता देतीं है पर विचारों और नए आयामों की जो समाज को नई दिशा देती हैं और समाज के लिए लाभदायक ही हैं।
टोको न उस सोच को, लड़की पढ़ेंगी तो समाज को गढ़ेंगी ,
रोकों नहीं उस परिंदे को वह आसमाँ को रंगों से मढ़ेंगी।