"लड़की पढ़ेंगी तो भाग जाएगी" यह वाक्य सुनते हीं, मन में उथल-पुथल चलने लगती हैं और प्रश्न आता हैं, क्यों ? और किसलिए? क्या जीवन का अर्थ और उद्देश्य बस इतना ही सीमित हैं ? नारी की आजादी और शिक्षा पर समाज की सोच आज भी ऐसी हैं क्यों ?
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