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Patriarchal Society: भारतीय परिवारों में सारे संस्कार बेटियों के लिए क्यों?

जब से लड़की बड़ी होने लगती है तब सब चीजें उसे ही सिखाई जाती हैं जैसे कैसे कपड़े पहने हैं, कैसे बोलना है, कैसे दूसरों के सामने पेश होना है और कोई कुछ कह भी दे तो चुप रहना है लेकिन वहीं हम अपने लड़कों को कुछ नहीं सिखाते हैं।

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Rajveer Kaur
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Mother and Daughter

(Image Credit: Indian Youth)

Why We Always Teach Our Daughters Not Sons: हमारे समाज में जब भी किसी महिला के साथ कुछ गलत होता है तब भी दोषी उसे ही माना जाता है। यह हमारे समाज की सबसे बड़ी प्रॉब्लम है। यहां पर मर्दों को कुछ नहीं कहा जाता है। बचपन से ही महिलाओं के साथ ऐसा होता आ रहा है। जब से लड़की बड़े होने लगती है तब सब चीजें उसे ही सिखाई जाती है जैसे कैसे कपड़े पहने हैं, कैसे बोलना है, कैसे दूसरों के सामने पेश होना है और कोई कुछ कह भी दे तो चुप रहना है लेकिन वहीं हम अपने लड़कों को कुछ नहीं सिखाते हैं। उनकी कोई परवरिश नहीं होती है। वह अपनी लाइफ को अपने तरीके से जीते हैं। उन्हें कोई भी सही गलत बताने वाला नहीं होता है। आज हम इस विषय के ऊपर बात करेंगे-

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भारतीय परिवारों में सारे संस्कार बेटियों के लिए क्यों?

हमें लड़कों की परवरिश करने की बहुत ज्यादा जरूरत है। सबसे पहले हमें उन्हें यह सिखाना चाहिए कि कैसे लड़कियों की रिस्पेक्ट करनी चाहिए। आज तक हमने अपने लड़कों को बहुत शिक्षा दे है लेकिन अब बारी लड़कों की है। अगर हमने अभी लड़कों को सही शिक्षा देनी शुरू नहीं की तो लड़कियों के साथ होने वाले अन्याय को कभी भी खत्म नहीं कर पाएंगे। आज भी जब लड़की के साथ रेप होता है तो दोष उसका ही निकल जाता है। हम लड़के को गलत कहने या सजा देने के बजाय लड़कियों का घर से बाहर जाना बंद कर देते हैं। हम उनकी शादी कर देते हैं या फिर उन्हें कहते हैं कि चुप रहो, तुम लड़के के खिलाफ शिकायत नहीं दर्ज करोगी। ऐसा क्यों है?

अगर हम लड़कों को शिक्षा देनी शुरू कर देंगे तब हम अब समाज में जेंडर इक्वलिटी ला सकते हैं। जब हम लड़कों को यह बताएंगे कि घर का काम सिर्फ औरतों की जिम्मेदारी नहीं है, वो भी कर सकते हैं। अगर औरत घर का काम कर रही है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसे इज्जत नहीं मिलेगी। हमें लड़कों को इन छोटी-छोटी बातों को सिखाना होगा। जितना जोर हम लड़कियों की परवरिश पर देते हैं, अगर हम उनसे आधा भी लड़कों के ऊपर दे तो यह समाज लड़कियों के लिए ज्यादा सुरक्षित बन सकता है। वह लड़कियों को objectify नहीं करेंगे और न ही उन्हें अपने से कम समझेंगे।

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इसके साथ है पीरियड के दौरान महिलाओं को समझने में पुरुष नाकाम हो जाते हैं। अगर हम उन्हें भी पीरियड्स के बारे में बताना शुरू कर दें कि कैसे महिलाएं इन दिनों से गुजरती हैं और किन-किन मुश्किलों का उन्हें सामना करना पड़ता है तब भी हम महिलाओं के लिए एक सेफ प्लेस स्थापित कर सकते हैं जहां पर पुरुष उनका मजाक बनाने कि बजाय सपोर्ट करें।

आज भी अगर हमारा समाज पुरुष प्रधान (Male Dominated) है तो यह इसकी वजह से ही है क्योंकि हमने अपने लड़कों को खुला छोड़ रखा है। हम उनके साथ बैठते ही नहीं है और न ही उनके साथ कोई बात करते हैं, जिस कारण वह भी अपने दिल की बात किसी को बताते ही नहीं हैं। हमने उनकी फिलिंग्स को समझना ही छोड़ दिया है। हमें लगता है कि उनके साथ बात करने से क्या होगा? 

Male Dominated objectify daughters Sons
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