आखिर बेटी को अप्प्रेसिअशन बेटा बोलकर क्यों?

एक लड़की को लड़की की तरह ही रहने दीजिए वह चाहे कोई भी काम करें उसे लड़का और लड़की दोनों ही कर सकते हैं। उसे यह कहकर अप्रिशिएट मत करें की “तू तो हमारा बेटा है” । जानें अधिक इस ओपिनियन ब्लॉग में-

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Vaishali Garg
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Sexist Expectations.

आखिर बेटी को अप्प्रेसिअशन बेटा बोलकर क्यों?

तू तो हमारी शेर बेटा है। क्यों वह शेरनी बेटी क्यों नहीं हो सकती? लड़की यदि कोई भी सर उठाने वाला काम करे तो घरवाले कहते हैं की तू तो हमारा बेटा है। क्यों, ऐसा कौन सा काम है जो लड़कियां नहीं कर सकती क्या वह फाइनेंशली इंडिपेंडेंट नहीं हो सकती? क्या वह घर के कामों की जिम्मेदारी नहीं ले सकती? लड़की हर वह काम कर सकती है जो एक लड़का कर सकता है फिर उसे अप्रिशिएट करने के समय पर क्यों लड़के से कम्पेयर किया जाता है? पेरेंट्स प्लीज ऐसा करना छोड़ दीजिए। 

आखिर बेटी को अप्प्रेसिअशन बेटा बोलकर क्यों?

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एक लड़की को लड़की की तरह ही रहने दीजिए वह चाहे कोई भी काम करें उसे लड़का और लड़की दोनों ही कर सकते हैं। उसे यह कहकर अप्रिशिएट मत करें की “तू तो हमारा बेटा है” क्योंकि बेटी भी हर वह काम कर सकती है जो एक बेटा कर सकता है? आप ही अपने बेटा और बेटी में डिस्क्रिमिनेशन करेंगे तो यह समाज क्यों पीछे हटेगा? तू तो हमारा बेटा है जैसा कॉम्प्लीमेंट लड़कियों को देखकर यह बताया जाता है की समाज में स्ट्रांग केवल लड़कों को ही माना जाता है।

लड़कियां कर सकती हैं हर वह काम जो लड़के करते हैं 

समाज लड़कियों को कई बार वह हक नहीं देता जिसकी वह हकदार है। आज भी कई ऐसी लड़कियां हैं जो बेहद होनहार हैं और अपने पैरों पर खड़ी होना चाहती हैं। लेकिन लोगों की धारणाएं अभी भी उन्हें पीछे रोक कर रखती है की तू तो बेटी है तू क्या पड़ेगी तुझे दूसरे घर जाना है? आज के टाइम पर देखा जाए तो लड़कियां लड़कों से ज्यादा कामयाबी हासिल करती हैं। हमें केवल मौका देने की जरूरत है यदि प्रत्येक लड़की को आगे बढ़ने का मौका मिले तो वह सारी चुनौतियों का सामना कर सकती हैं और खुद को फाइनेंशली स्टेबल कर सकती हैं।

आज के समय में घर की जिम्मेदारियां भी उठा रही हैं लड़कियां 

घर की जिम्मेदारियां उठाना केवल लड़कों का ही काम नहीं होता यदि कोई लड़की केपेबल है तो उसे बेटा कहकर इंडिकेट करना गलत होगा क्योंकि जिम्मेदारियां उठाना सिखाया जाता है और आप ही अपनी बेटियों को यह बात नहीं दिखाएंगे तो वह पीछे रह जाएंगी रिस्पांसिबिलिटी उठाना कोई जेंडर बेस नहीं है। आज के दौर में महिलाएं ना केवल अपनी जिम्मेदारियां उठा रही है बल्कि अपने घरवालों और इस देश की भी जिम्मेदारियां उठा रही हैं। हमारे देश में महिलाएं मिनिस्टर है, सैनिक है, टीचर है महिलाएं साइंटिस्ट हैं। वह यह सब जिम्मेदारियां नहीं उठा रही। इसलिए महिलाओं को महिला ही रहने दें उन्हें बेटा कहकर जेंडर के साथ डिस्क्रिमिनेशन ना करें।

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