Women's Talk: महिला ठीक न होने पर 'ठीक है' कहना बंद करें

कभी आपने अपनी माता को कहते हुए सुना है कि मैं ठीक नहीं हूं? अवश्य इसका जवाब 'नहीं' आएगा क्योंकि औरतों को कभी न कहना सिखाया ही नहीं जाता। उनकी सेहत जितनी मर्जी खराब हो या वह मानसिक रूप से सही नहीं है, वह कभी भी मना नहीं कर करेंगी।

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Rajveer Kaur
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Women Should Normalise Saying, "I Am Not Well, When They Are Not": कभी आपने अपनी माता को कहते हुए सुना है कि मैं ठीक नहीं हूं? अवश्य इसका जवाब 'नहीं' आएगा क्योंकि औरतों को कभी न कहना सिखाया ही नहीं जाता। उनकी सेहत जितनी मर्जी खराब हो या वह मानसिक रूप से सही नहीं है, वह कभी भी मना नहीं कर करेंगी। उनसे हमेशा यही अपेक्षा की जाती है कि वह बीमारी में भी कम करती ही रहें। आज हम इस पर बात करेंगे कि क्यों जब महिला ठीक नहीं होती है तब भी वह कहती है कि मैं ठीक हूं।

Women's Talk: महिला ठीक 'न' होने पर ठीक है कहना बंद करें

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महिलाओं की परवरिश ही ऐसे की जाती है कि उन्हें कभी न कहना सिखाया ही नहीं जाता है। मानसिक और शारीरिक तौर पर बर्नआउट या फिर सही महसूस न करने पर किसी को ना बोलना सेलफिशनेस नहीं होता है। यह अपने आपके लिए एक कदम होता है कि हम खुद की केयर करते हैं। सेल्फ केयर करने में कभी भी पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि इसी से ही हम मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक तौर पर फिट रह सकते हैं।

महिलाएं सुपरपॉवर नहीं होती है

हमें यह बात समझने की बहुत ज्यादा जरूरत है कि महिलाएं सुपरपॉवर नहीं होती है। उन्हें भी समस्याएं आती हैं। अगर वह बोलती नहीं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें कुछ नहीं होता है। उनकी सेहत के बारे में कोई नहीं पूछता है कि तुम ठीक हो या नहीं। वह अपने जीवन में इतने उतार-चढ़ाव से गुजरती है कि दूसरा जेंडर इसके बारे में अंदाजा भी नहीं लगा सकता। पीरियड्स के दिनों में महिलाओ के लिए बेड से उठना भी मुश्किल हो जाता है। इतने क्रैंप्स होते हैं जो भयंकर पीड़ा देते हैं।

इसके बाद महिलाएं प्रेगनेंसी से गुजरती है जिसमें वह कम से कम 2 से 3 किलो भार अपने साथ लेकर चलती है। वह भी आसान बात नहीं है। इन सब के बारे में बात कोई नहीं करना चाहता है। महिलाओं की बीमारियों के बारे में उन्हें कोई अवेयरनेस नहीं है। मेनोपॉज के साथ कैसे डील करना है उसके बारे में उन्हें कोई नहीं बताता है। अपनी  मानसिक सेहत को कैसे ठीक रख सकते हैं, इसके बारे में उनके साथ कोई बात नहीं की जाती है।

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आज की महिला दोनों काम कर रही है- वर्क भी और घर भी संभालती है। यह सब बिल्कुल भी आसान नहीं है।  इतने उतार-चढ़ाव से गुजर कर खड़े रहना, बच्चों को पैदा करना, घरवालों के ताने और समाज की अपेक्षाएं इतना बोझ लेकर चलती हैं।

महिलाएं अगर ठीक महसूस कर रही है तो बिल्कुल ना करिए। आप अपने ऊपर फालतू की चीजों का बोझ लेना बंद कर दीजिए। अगर आपको लगता है, आप ठीक नहीं है तो नहीं है। यह बहुत सीधी और सरल बात है। इसको कॉम्प्लिकेटेड करके आप खुद के साथ ही नुकसान कर रही हैं। अगली बार जब आपसे कोई पूछे कि आप कैसी है, अगर आप ठीक नहीं है तो आपका जवाब यह ही होना चाहिए।