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Photograph: (Freepik )
5 Financial Discussions Every Couple Should Have Before Marriage: शादी सिर्फ प्यार और भावनाओं का रिश्ता नहीं होता, बल्कि यह ज़िम्मेदारियों और भविष्य की प्लानिंग से भी जुड़ा होता है। जब दो लोग शादी के बंधन में बंधते हैं, तो उनकी आर्थिक स्थिति भी एक-दूसरे को प्रभावित करती है। लेकिन अक्सर कपल्स शादी से पहले इस विषय पर खुलकर बात नहीं करते, जिससे आगे चलकर समस्याएं खड़ी हो सकती हैं। वित्तीय समझ और पारदर्शिता एक सफल वैवाहिक जीवन की बुनियाद होती है। इसलिए शादी से पहले पैसों को लेकर कुछ महत्वपूर्ण चर्चाएं करना बहुत ज़रूरी है।
आप दोनों की आमदनी और खर्च की स्पष्टता होनी चाहिए
कई बार शादी के बाद एक पार्टनर को पता चलता है कि दूसरे की इनकम उतनी नहीं है जितनी उसने सोची थी या फिर उसके खर्च करने की आदतें अलग हैं। यह रिश्ते में तनाव पैदा कर सकता है। इसलिए शादी से पहले यह समझना ज़रूरी है कि आप दोनों की आय कितनी है और खर्च करने का तरीका कैसा है। क्या आप बचत करने वाले इंसान हैं या पैसे तुरंत खर्च कर देने वाले? घर चलाने की ज़िम्मेदारी कौन उठाएगा और बिल्स का भुगतान कैसे होगा? इन सवालों के जवाब पहले ही मिल जाएं तो भविष्य में गलतफहमियों की गुंजाइश नहीं रहती।
बचत और निवेश को लेकर सोच एक जैसी होनी चाहिए
हर व्यक्ति की वित्तीय प्राथमिकताएं अलग होती हैं। कोई अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए बचत पर ज़ोर देता है, तो कोई वर्तमान में खुलकर खर्च करना पसंद करता है। शादी से पहले यह समझना बहुत ज़रूरी है कि आपका और आपके पार्टनर का निवेश और बचत को लेकर क्या दृष्टिकोण है। क्या आप दोनों लंबी अवधि की प्लानिंग के लिए निवेश करेंगे? क्या इमरजेंसी के लिए अलग से सेविंग रखनी होगी? अगर इन विषयों पर पहले से चर्चा हो जाए, तो शादी के बाद आर्थिक असहमति से बचा जा सकता है।
कर्ज और लोन की स्थिति को समझना ज़रूरी है
कई बार शादी के बाद पता चलता है कि पार्टनर पहले से ही कर्ज में डूबा हुआ है या उसकी ईएमआई बहुत ज्यादा है। इससे वित्तीय संतुलन बिगड़ सकता है और रिश्ते में तनाव आ सकता है। इसलिए शादी से पहले यह जानना जरूरी है कि क्या किसी पर पहले से कोई लोन या कर्ज है? उसका क्रेडिट स्कोर कैसा है? अगर कर्ज चुकाना बाकी है, तो उसकी योजना क्या होगी? यह बातें जितनी जल्दी साफ होंगी, उतना ही बेहतर होगा।
घर के खर्च और ज़िम्मेदारियों का बंटवारा पहले तय हो
शादी के बाद घरेलू खर्च बढ़ जाते हैं और अगर पहले से कोई व्यवस्था न हो तो यह रिश्ते में तनाव पैदा कर सकता है। किराया, ग्रॉसरी, बिजली का बिल, घूमने-फिरने का खर्च यह सब किस तरह बांटा जाएगा, यह पहले से तय होना चाहिए। अगर दोनों में से किसी पर परिवार की आर्थिक ज़िम्मेदारी है, तो इसे भी स्पष्ट करना जरूरी है। इससे बाद में किसी तरह की असमंजस की स्थिति नहीं बनेगी और रिश्ते में सामंजस्य बना रहेगा।
महिलाओं के करियर और आर्थिक स्वतंत्रता पर चर्चा होनी चाहिए
यह सवाल कई रिश्तों में तनाव पैदा कर सकता है कि शादी के बाद महिला काम करेगी या नहीं। कई बार परिवार की ज़िम्मेदारियां उठाने के लिए महिलाओं को करियर छोड़ना पड़ता है। लेकिन यह निर्णय सिर्फ सामाजिक दबाव में नहीं, बल्कि खुली बातचीत के बाद लिया जाना चाहिए। अगर शादी के बाद महिला अपने करियर में ब्रेक लेना चाहती है, तो क्या उसकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी? क्या घर चलाने के लिए सिर्फ पति की आय ही पर्याप्त होगी, या दोनों का योगदान ज़रूरी रहेगा? यह सभी बातें पहले ही तय होनी चाहिए ताकि शादी के बाद किसी भी तरह की असहमति से बचा जा सके।
शादी और फाइनेंशियल प्लानिंग साथ-साथ चलनी चाहिए
एक खुशहाल शादीशुदा जीवन सिर्फ प्यार और भरोसे से ही नहीं चलता, बल्कि आर्थिक स्थिरता और पारदर्शिता भी उतनी ही महत्वपूर्ण होती है। शादी से पहले पैसे की बातचीत करने में झिझक महसूस करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि यही बातचीत आगे चलकर आपके रिश्ते को मज़बूती देगी। पारदर्शिता और परस्पर समझ से ही एक सफल वैवाहिक जीवन की नींव रखी जा सकती है। इसलिए प्यार के साथ-साथ पैसे की भी बात करें, ताकि भविष्य में कोई आर्थिक समस्या आपके रिश्ते के बीचन आए।