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Gen Z Photograph: (Canva )
Generation-Z : हर पीढ़ी के रिश्तों में बदलाव आना स्वाभाविक है क्योंकि समय के साथ समाज, टेक्नोलॉजी और सोचने के तरीके लगातार विकसित होते रहते हैं। आज की Generation-Z (Gen-Z) यानी 1997 से 2012 के बीच जन्मी पीढ़ी, रिश्तों को अलग नजरिए से देखती है। उनकी प्राथमिकताएं, उम्मीदें और रिश्तों को निभाने के तरीके पिछली पीढ़ियों से काफी अलग हैं। आइए जानें कि कैसे Gen-Z के रिश्ते पुराने जमाने के रिश्तों की तुलना में अलग हैं।
क्या पुराने जमाने से अलग हैं Generation-Z के रिश्ते?
1. डिजिटल कनेक्शन बनाम पर्सनल कनेक्शन
पुरानी पीढ़ियां रिश्तों को पर्सनल मीटिंग्स, पत्रों और फोन कॉल्स के ज़रिए निभाती थीं। वहीं Gen-Z टेक्नोलॉजी-ड्रिवन रिलेशनशिप्स में यकीन रखती है।
- सोशल मीडिया, वीडियो कॉल और इंस्टेंट मैसेजिंग से रिश्ते शुरू होते हैं और चलाए जाते हैं।
- डेटिंग ऐप्स जैसे Tinder, Bumble और Hinge के ज़रिए लोग नए कनेक्शन बनाते हैं।
- डिजिटल कम्युनिकेशन के कारण इमोशनल बॉन्डिंग तेज़ी से होती है लेकिन कभी-कभी यह सतही भी रह जाती है।
2. कमिटमेंट को लेकर अलग सोच
जहां पिछली पीढ़ियों के लिए शादी और दीर्घकालिक संबंध प्राथमिकता थे वहीं Gen-Z रिश्तों में फ्लेक्सिबिलिटी को ज़्यादा महत्व देती है।
- "Situationships" और "Open Relationships" का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है जहां रिश्ते पारंपरिक नियमों से बंधे नहीं होते।
- Gen-Z जल्दी कमिटमेंट देने से हिचकती है क्योंकि वे करियर और व्यक्तिगत विकास को प्राथमिकता देती है।
- रिश्तों में पारदर्शिता और आपसी सहमति ज़्यादा महत्वपूर्ण हो गई है।
3. इमोशनल एक्सप्रेशन और मेंटल हेल्थ की जागरूकता
पहले की पीढ़ियां अक्सर इमोशनल टॉपिक्स पर खुलकर बात करने से बचती थीं। Gen-Z रिश्तों में मेंटल हेल्थ को गंभीरता से लेती है।
- थैरेपी, माइंडफुलनेस और सेल्फ-केयर जैसे टॉपिक्स अब लोगों के बीच सामान्य बातचीत का हिस्सा बन चुके हैं।
- "रेड फ्लैग्स" और "टॉक्सिक रिलेशनशिप" जैसे शब्द आम हो गए हैं जिससे लोग खुद को ज़हरीले रिश्तों से बचा रहे हैं।
- इमोशनल वेलनेस को प्राथमिकता देते हुए Gen-Z बेहतर कम्युनिकेशन और स्पेस की उम्मीद रखती है।
4. समानता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता
जहां पहले रिश्तों में पारंपरिक जेंडर रोल्स निभाए जाते थे वहीं Gen-Z रिश्तों में बराबरी और स्वतंत्रता को ज़्यादा तवज्जो देती है।
- लड़के और लड़कियां दोनों ही रिश्तों में समान भागीदारी निभाते हैं चाहे वह फाइनेंशियल हो या इमोशनल।
- शादी, बच्चों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को लेकर एक नया नजरिया देखने को मिलता है जैसे "Marriage is a choice, not a necessity."
- कंज़र्वेटिव सोच की तुलना में व्यक्तिगत इच्छाओं और प्राथमिकताओं को अधिक महत्व दिया जाता है।
5. सोशल मीडिया का प्रभाव
Gen-Z के रिश्तों पर सोशल मीडिया का बहुत गहरा असर पड़ता है जो पुराने ज़माने में नहीं था।
- रिलेशनशिप स्टेटस को सोशल मीडिया पर अपडेट करना आजकल आम बात है।
- सोशल मीडिया पर लोग अपने रिश्तों को "परफेक्ट" दिखाने की कोशिश करते हैं जिससे कभी-कभी असली इमोशन्स दब जाते हैं।
- "Ghosting" और "Breadcrumbing" जैसी डिजिटल डेटिंग प्रैक्टिस आम हो गई हैं जहां लोग बिना बताए अचानक रिश्ता खत्म कर देते हैं।
6. प्यार की परिभाषा और प्राथमिकताएं बदल रही हैं
पहले के ज़माने में रिश्ते एक सामाजिक ज़रूरत की तरह देखे जाते थे लेकिन Gen-Z के लिए रिश्ते व्यक्तिगत पसंद पर आधारित हैं।
- लोग अब "सेल्फ-लव" और "इंडिपेंडेंस" को पहले रखते हैं और फिर रिश्तों की ओर बढ़ते हैं।
- पुराने ज़माने में प्यार को त्याग और समझौते से जोड़ा जाता था लेकिन अब "Healthy Boundaries" की बात की जाती है।
- क्वीर रिलेशनशिप और LGBTQ+ समुदाय की स्वीकृति इस पीढ़ी में अधिक देखने को मिलती है।
Gen-Z के रिश्ते ज्यादा मजबूत हैं या कमजोर?
- एक तरफ ये रिश्ते पारदर्शिता, समानता और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देते हैं जो इन्हें ज्यादा हेल्दी बना सकता है।
- दूसरी तरफ डिजिटल ओवररिलायंस, कमिटमेंट से डर और सोशल मीडिया की तुलना कभी-कभी रिश्तों को अस्थिर बना सकते हैं।
- Gen-Z रिश्तों में खुलापन और बातचीत को महत्व देती है लेकिन कई बार डिजिटल डिस्ट्रैक्शन और इन्स्टेंट ग्रैटिफिकेशन के कारण गहराई की कमी महसूस हो सकती है।
Gen-Z के रिश्ते निश्चित रूप से पुराने जमाने के रिश्तों से अलग हैं। डिजिटल कनेक्शन, मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता, समानता और स्वतंत्रता जैसी बातें इस पीढ़ी के रिलेशनशिप्स को परिभाषित करती हैं। हालांकि, टेक्नोलॉजी के बढ़ते प्रभाव के कारण रिश्तों में चुनौतियां भी आती हैं। कुल मिलाकर, यह पीढ़ी अपने रिश्तों को अपनी शर्तों पर जी रही है जो इसे पहले की पीढ़ियों से बिल्कुल अलग बनाता है।