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Photograph: (Pinterest)
Can you love someone without loving yourself? प्यार एक ऐसी चीज है जिसे हम कभी चुनते नहीं हैं। जब हम किसी को प्यार करने लगते हैं, तो सच में हमारा खुद पर कोई कंट्रोल नहीं रहता। हमने सदियों से यह सुना है कि जब कोई व्यक्ति प्यार में होता है, तो वह हर हद को पार कर जाता है। उसकी कोई सीमा नहीं होती। वह अपना सब कुछ छोड़कर उस व्यक्ति को समर्पित कर देता है जिसे वह दिल से प्यार करता है। उसकी खुशी ही सब कुछ बन जाती है। लेकिन खुद से प्यार करने का कॉन्सेप्ट अभी भी हमारे लिए बहुत नया है। आज के समय में यह जरूरी हो गया है कि हम इस पर गंभीरता से सोचें कि क्या खुद को प्यार किए बिना किसी और को प्यार किया जा सकता है?
क्या हम खुद को प्यार किए बिना किसी दूसरे को प्यार कर सकते हैं?
ज्यादातर लोग दूसरों से प्यार करते हैं या फिर उनसे प्यार की उम्मीद रखते हैं। ऐसे लोग वे होते हैं जिनमें आत्म-सम्मान की कमी होती है, जो अपने आप के साथ ईमानदार नहीं होते। वे हमेशा दूसरों से प्यार और वैलिडेशन की उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं। लेकिन जब उन्हें वह नहीं मिलता, तो उनकी उम्मीदें टूट जाती हैं और वे निराश हो जाते हैं। इसलिए खुद को भी प्यार करना बेहद जरूरी है।
जो लोग खुद से प्यार नहीं करते, वे अक्सर अपने रिश्ते में वैलिडेशन की तलाश में रहते हैं। वे अपने पार्टनर के गलत व्यवहार को भी सहन करने को तैयार हो जाते हैं। उन्हें लगता है कि वे अच्छे को डिजर्व नहीं करते। उनके लिए किसी भी चीज का ‘Bare Minimum ’ भी बहुत ज्यादा लगता है। ऐसे रिश्तों में उनकी खुद की कोई पहचान या व्यक्तिगत अस्तित्व नहीं रह जाता। वे अपने पार्टनर पर अत्यधिक निर्भर हो जाते हैं।
महिलाओं के लिए क्यों जरूरी है खुद से प्यार करना?
पितृसत्तात्मक व्यवस्था ने हमेशा महिलाओं को यही सिखाया है कि उन्हें दूसरों के लिए कैसे जीना है। एक रिश्ते में महिला की भूमिका को अक्सर इस रूप में देखा जाता है कि वह चुपचाप सब कुछ सहन करे। अगर उसके साथ कुछ गलत हो रहा है, तो भी उसे चुप रहना चाहिए। हमेशा दूसरों की जरूरतों को खुद से पहले रखना चाहिए।
खुद को प्यार करना नहीं सिखाया जाता
उन्हें कभी नहीं सिखाया जाता कि वे अपने लिए कैसे सोचें, खुद से कैसे प्यार करें या फिर कैसे बाउंड्रीज़ सेट करें। अगर वे अपने लिए कोई बात कहती हैं या वो काम करती हैं जो उन्हें अच्छा लगता है, तो समाज उन्हें ‘सेल्फिश’ कह देता है।
इसीलिए महिलाओं के लिए खुद से प्यार करना, किसी और को प्यार करने से कहीं ज्यादा जरूरी हो जाता है—ताकि वे इस पितृसत्तात्मक ढांचे में खुद को खो न दें।
इमोशनल बर्नआउट से बचने के लिए
अपनी इमोशनल वेलबीइंग का ख्याल रखना हर इंसान के लिए जरूरी है। महिलाओं के लिए यह इसलिए भी ज़रूरी हो जाता है क्योंकि अक्सर रिश्तों में भावनात्मक ज़िम्मेदारी का बोझ उन्हीं पर डाल दिया जाता है। जब एक महिला मां बनती है, तो बच्चे की परवरिश, उसकी हर छोटी-बड़ी ज़रूरतों का ख्याल, और घर के बुज़ुर्गों से लेकर बच्चों तक की ज़िम्मेदारी उसी के ऊपर आ जाती है। इस तरह महिलाएं खुद ही थक जाती हैं, बर्न आउट हो जाती हैं। और बदले में उन्हें उतना नहीं मिलता, जितना वे देती हैं।
इसलिए यह ज़रूरी हो जाता है कि महिलाएं अपने रिश्तों में खुद को प्राथमिकता देना सीखें क्योंकि अगर आप खुद से प्यार नहीं करेंगी, तो दूसरों से प्यार करने में भी कहीं न कहीं खुद को खो बैठेंगी।