Relationship: रिश्ते में असहमति को स्वस्थ तरीके से सुलझाने के लिए शांत रहें, "मैं" शब्दों का इस्तेमाल कर अपनी भावनाओं को बताएं और साथी की बात ध्यान से सुनें। असल मुद्दे को पहचानने की कोशिश करें । अगर गुस्सा आ जाए तो बीच में टाइमआउट लें और फिर मिलकर किसी ऐसे समाधान पर काम करें जो दोनों के लिए ही फायदेमंद हो। याद रखें, आप एक टीम हैं और एक-दूसरे का सहयोग ही रिश्ते को मजबूत बनाएगा
5 स्वस्थ तरीके जिनको अपनाकर आप रिश्तों में आने वाली असहमति को मजबूती में बदल सकते हैं
1. शांत रहें और सम्मान बनाए रखें
गुस्से में बात करने से किसी भी समस्या का हल नहीं निकलता। अपनी बात रखते समय शांत स्वर बनाए रखें। एक-दूसरे को बीच में टोकने से बचें और जब कोई बात कर रहा हो तो ध्यान से सुनें। अपशब्दों का प्रयोग न करें और हमेशा इस बात को याद रखें कि आप समस्या को सुलझा रहे हैं, ना कि एक-दूसरे को हराने की कोशिश कर रहे हैं।
2. असली मुद्दे को पहचानें
कई बार गुस्सा किसी और बात को लेकर होता है, लेकिन किसी छोटी सी बात पर वह बाहर निकल आता है। इसलिए जरूरी है कि असल मुद्दे को पहचाना जाए। अपने साथी की बात ध्यान से सुनें और समझने की कोशिश करें कि वह असल में किस बात से परेशान हैं। ऐसा करने से समस्या की जड़ तक पहुंचा जा सकता है और उसका बेहतर समाधान निकाला जा सकता है।
3. "मैं" शब्दों का प्रयोग करें
अपनी बात रखते समय दूषारोपण करने से बचें। "मैं" शब्दों का प्रयोग करके अपनी भावनाओं को व्यक्त करें। उदाहरण के लिए, "मुझे बुरा लगता है जब तुम देर से आते हो" कहना ज्यादा बेहतर है बजाय ये कहने के कि "तुम हमेशा देर से आते हो"। इससे आप अपनी भावनाओं को स्पष्ट रूप से बता पाएंगे और साथी को भी यह महसूस नहीं होगा कि आप उन पर हमला कर रहे हैं।
4. बीच में टाइमआउट लें
अगर बातचीत गरमाने लगे और आप दोनों गुस्से में आ जाएं तो बीच में टाइमआउट लेना फायदेमंद हो सकता है। थोड़ा शांत होकर फिर से बातचीत करने से आप ज्यादा स्पष्ट रूप से सोच पाएंगे और समस्या को सुलझाने में आसानी होगी। टाइमआउट लेने के दौरान आप कुछ देर अकेले रह सकते हैं या कोई शांत करने वाली गतिविधि कर सकते हैं।
5. समाधान पर साथ मिलकर काम करें
इस बात पर ध्यान दें कि आप दोनों एक ही टीम में हैं। समस्या को सुलझाने के लिए मिलकर प्रयास करें। एक-दूसरे के सुझावों को सुनें और ऐसी कोशिश करें कि कोई रास्ता निकले जो दोनों के लिए ही स्वीकार्य हो। हमेशा ये जरूरी नहीं होता कि कोई एक व्यक्ति जीते और दूसरा हारे। आपसी सहयोग से ऐसी स्थिति बनाई जा सकती है जहां दोनों को ही कुछ न कुछ मिल सके।