How Can You Regulate Emotions In Relationship: रिलेशनशिप में हम बहुत सारे इमोशंस में से गुजरते हैं जो कि एक नॉर्मल बात है लेकिन उन्हें इमोशंस का रिस्पांस हम कैसे करते हैं। यह बहुत बड़ी बात है और इसका आपके रिश्तों पर भी असर दिखाई देता है। अगर आप इमोशनल रेगुलेशन से परिचित है तो आप जानते होंगे कि कैसे अपने इमोशंस को व्यक्त करना है। इसका मतलब अपनी भावनाओं को दबाना नहीं है ब्लकि उन्हें स्वस्थ तरीके से व्यक्त करना है। इमोशनल रेगुलेशन का मतलब खुद की फिलिंग्स को जानना, उन ट्रिगर्स को पहचानना जो ऐसे इमोशंस का कारण बनते हैं और उन्हें मैनेज करना सीखना है।
Valentine Week: रिलेशनशिप में अपने इमोशंस को रेगुलेट कैसे किया जाए?
ध्यान से सुनिए
रिलेशनशिप में हम अपने पार्टनर को अपनी फिलिंग्स के बारे में बहुत कुछ बताते हैं। कई बार हम डिफेंसिव भी हो जाते हैं और अपनी गलतियों को जस्टिफाई कर देते हैं। ऐसे में हमारे पार्टनर का दृष्टिकोण क्या है और क्या कहना चाहते हैं। उसको हम कभी सुनते नहीं है। अगर आप रिश्ते में अपने इमोशंस को रेगुलेट करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले दूसरों को इंटरप्ट किए बिना सुनना सीखना होगा।
Vulnerability को चुनिए
वलनेरेबिलिटी का मतलब होता है कि हम अपनी भावनाओं को बिना किसी डर या शर्म के व्यक्त करते हैं। रिलेशनशिप में अपने इमोशंस को रेगुलेट करने के लिए हमें वूलनेरेबिलिटी को अपनाना पड़ेगा। इससे आपका रिलेशनस्ट्रांग होगा। आपका पार्टनर आपको ज्यादा अच्छे से समझ पाएगा। इससे आपकी भावनात्मक और मेंटल वेलबींइग भी पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है।
साँस लीजिए
जब हम किसी इमोशन से ट्रिगर होते हैं तब हम एकदम से रिएक्ट कर देते हैं जो ज्यादातर समय सही नहीं होता है। जब भी कभी आपको कोई इमोशन ट्रिगर करता है तब आप सांस लीजिए या चुप कर जाएं। उस समय बात पर रिएक्ट करना सही नहीं होता है क्योंकि हम हमारे भाव हमारे कंट्रोल में नहीं होते हैं।
माइंडफूलनेस
माइंडफूलनेस रिश्ते को बहुत खूबसूरत बना सकता है। उससे आप जो अभी चल रहा है उसे पर ज्यादा ध्यान देते हैं। आप खुद की साथ ज्यादा कनेक्ट होते हैं। आपको अपने बारे में पता चलता है कि आप असल में अपने पार्टनर से क्या चाहते हैं और आपकी ज़रूरतें क्या है। इससे आपको इमोशनल ट्रिगर के साथ डील करने के बारे में भी पता चलता है।
अच्छी बातचीत
रिलेशनशिप में अच्छी बातचीत आपका झगड़ा और गलतफहमी को कम करके रिश्ते में एक अच्छा बॉन्ड पैदा करती है। इससे आप अपनी भावनाओं को अच्छे से व्यक्त कर सकते हैं। अच्छी कम्युनिकेशन में लिसनिंग भी शामिल है कि दूसरे व्यक्ति को कैसे सुनते हैं और अपनी गलतियों का दोष दूसरों पर नहीं डालते हैं। आप जो कर रहे हैं, उसकी जिम्मेदारी ले रहे हैं। हर बात पर अपने पार्टनर को क्रिटिसाइज करना आपकी आदत नहीं है।