शादी में Expectations को कैसे मैनेज करें?

कि आप खुद को और अपने साथी को अच्छी तरह से जानें, अपनी उम्मीदों को स्पष्ट रूप से सामने रखें, और एक-दूसरे की बातों को सुनने और समझने के लिए तैयार रहें और छोटी-छोटी बातों पर अड़े रहने की बजाय रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए मिलकर प्रयास करें। 

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Anusha Ghosh
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(Credit : Her Way )

Expectations: शादी में सफलता के लिए उम्मीदों का संतुलन बहुत जरूरी है। सही उम्मीदें रिश्ते को मजबूत बनाती हैं, वहीं अवास्तविक या बिना सोची-समझी उम्मीदें निराशा और कड़वाहट लाती हैं। इसलिए जरूरी है कि आप खुद को और अपने साथी को अच्छी तरह से जानें, अपनी उम्मीदों को स्पष्ट रूप से सामने रखें, और एक-दूसरे की बातों को सुनने और समझने के लिए तैयार रहें। लचीलापन बनाए रखें, अपने साथी की खूबियों की सराहना करें, और छोटी-छोटी बातों पर अड़े रहने की बजाय रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए मिलकर प्रयास करें। 

शादी में उम्मीदों को संभालने के 5 तरीकों पर चर्चा करते हैं

1. खुद को जागरूक 

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पहला कदम ये है कि आप ये समझे कि आप अपने साथी और शादी से क्या उम्मीद रखते हैं। थोड़ा गहराई से खुद को जानने की कोशिश करें। कहीं आप बचपन के संस्कारों, फिल्मों या फिर किसी और रिश्ते के अनुभवों के आधार पर तो कोई आदर्श तस्वीर मन में नहीं बना रहे हैं? ये जरूरी है कि आप अपनी उम्मीदों को पहचाने और समझें कि वे कहां से आ रही हैं। इस आत्म-मंथन से आपको ये भी पता चलेगा कि आपकी असल उम्मीदें क्या हैं, जो शायद सीधी और ज्यादा मायने रखती हों। 

2. व्यावहारिक रहें 

कभी-कभी हम ये भूल जाते हैं कि हमारे साथी भी इंसान ही हैं। उनसे हर बार हर काम बिल्कुल वैसा कर लेना, जैसा हम सोचते हैं, मुमकिन नहीं है। उम्मीद रखना अच्छी बात है, लेकिन वो उम्मीदें हकीकत से बहुत दूर भी नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, ये सोचना कि आपका साथी कभी आपसे गुस्सा नहीं होगा या आपके मन की बात हमेशा पढ़ लेगा, एकदम अवास्तविक है। ऐसी उम्मीदें सिर्फ रिश्ते में तनाव लाएंगी। 

3. खुलकर बात करें 

यह सबसे महत्वपूर्ण बिंदुओं में से एक है। अपने साथी को यह बताएं कि आप उनसे क्या उम्मीद रखते हैं। लेकिन ध्यान दें कि बात करते समय आरोप लगाने या मांग करने का रवैया न रखें। अपनी भावनाओं को शांत और स्पष्ट तरीके से बताएं। साथ ही, अपने साथी की उम्मीदों को भी सुनने के लिए तैयार रहें। इस बातचीत से आप दोनों को ये समझने में मदद मिलेगी कि एक दूसरे से क्या चाहते हैं और आपसी सहयोग से  रिश्ते को कैसे मजबूत बनाया जा सकता है। 

4. लचीलापन बनाए रखें 

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यह सच है कि हर किसी की अपनी आदतें और करने का तरीका होता है। हर चीज हर बार बिल्कुल वैसी नहीं हो सकती जैसी आप चाहते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप लचीले रहें और छोटी-छोटी बातों पर अड़े न रहें।  अपने साथी के नजरिए को भी समझने की कोशिश करें। साथ ही, अगर आप दोनों किसी मुद्दे पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं, तो किसी बीच का रास्ता निकालने का प्रयास करें। 

5. स्वीकृति और कृतज्ञता

अपने साथी को वही स्वीकारें जो वो हैं। उन्हें बदलने की कोशिश न करें। हर किसी में कुछ न कुछ खूबियां और कमियां होती हैं। अपने साथी की खूबियों की सराहना करें और उनकी कमियों को नजरअंदाज करने की कोशिश करें। साथ ही, जब वो आपकी कोई उम्मीद पूरी करें, तो उनकी तारीफ करना न भूलें। इससे उन्हें खुशी होगी और वो आपके लिए अच्छा करने के लिए और प्रेरित होंगे।

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