पति ने खाना बना लिया, तो वाह-वाह क्यों? क्या घर के काम सिर्फ़ औरत की ज़िम्मेदारी हैं?

पति ने खाना बना लिया, तो वाह-वाह क्यों? क्या घर के काम सिर्फ़ औरत की ज़िम्मेदारी हैं? आइए इस सोच को बदलें और घरेलू कामों की बराबरी की बात करें।

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Sakshi Rai
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Photograph: (Freepik)

Is Housework Only a Woman’s Responsibility: अक्सर देखा जाता है कि जब कोई पति घर का काम करता है, खासकर खाना बनाता है, तो उसकी तारीफों के पुल बांध दिए जाते हैं। लेकिन जब एक महिला रोज़ाना यही काम करती है, तो इसे उसकी जिम्मेदारी मान लिया जाता है। यह सोच समाज में गहराई से जमी हुई है कि घर के काम सिर्फ़ महिलाओं का दायित्व हैं, जबकि पुरुष सिर्फ़ कमाने के लिए बने हैं। इस मानसिकता के कारण महिलाओं पर दोहरी ज़िम्मेदारी आ जाती है-घर और बाहर, दोनों संभालने की।

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पति ने खाना बना लिया, तो वाह-वाह क्यों? क्या घर के काम सिर्फ़ औरत की ज़िम्मेदारी हैं?

समाज की सोच और परवरिश का असर

हमारे समाज में लड़कियों को बचपन से ही यह सिखाया जाता है कि उन्हें घर का काम आना चाहिए। वहीं, लड़कों से कहा जाता है कि उनका ध्यान सिर्फ अपनी पढ़ाई और करियर पर होना चाहिए। नतीजा यह होता है कि बड़े होने के बाद पुरुष घर के कामों को अपनी ज़िम्मेदारी नहीं मानते और महिलाएं इसे अपनी ‘ड्यूटी’ समझने लगती हैं।

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समाज ने घर के कामों को एक महिला की अनिवार्य ज़िम्मेदारी बना दिया है, जबकि हकीकत में यह हर इंसान के लिए जरूरी लाइफ स्किल्स है। खाना बनाना, सफाई करना या बच्चों की देखभाल करना सिर्फ़ महिलाओं की जिम्मेदारी क्यों होनी चाहिए? पुरुष भी इसी घर में रहते हैं, तो फिर घर के कामों में उनकी भागीदारी स्वाभाविक होनी चाहिए, ‘मदद’ नहीं।

नौकरीपेशा महिलाओं पर दोहरी ज़िम्मेदारी

आज के समय में ज़्यादातर महिलाएं नौकरी कर रही हैं, लेकिन फिर भी घर की ज़िम्मेदारी उन पर ही होती है। ऑफिस के लंबे घंटों के बाद भी उन्हें घर आकर खाना बनाना, सफाई करना और बच्चों को संभालना पड़ता है। वहीं, पुरुष ऑफिस से आकर आराम कर सकते हैं। यह असमानता महिलाओं की मानसिक और शारीरिक सेहत पर असर डालती है।

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समाधान बहुत सीधा है – घर के कामों को बराबर बांटना। अगर पति-पत्नी दोनों नौकरी करते हैं, तो घर की ज़िम्मेदारी भी समान होनी चाहिए। सिर्फ़ महिलाओं पर घर के काम का बोझ डालना गलत है।

समाज में बदलाव तब आएगा जब हम अपने बच्चों को यह सिखाएंगे कि घर के काम किसी एक जेंडर की ज़िम्मेदारी नहीं हैं। अगर हम बचपन से लड़कों को भी किचन और घर की सफाई में शामिल करेंगे, तो भविष्य में यह समस्या ही नहीं रहेगी। घर एक साझा जिम्मेदारी है और इसमें हर सदस्य का योगदान जरूरी है।

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