Marital Intimacy: शादी के बाद भी ज़रूरी है महिलाओं का Sex में Consent

शादी के बाद भी महिलाओं का Sexual Consent उतना ही ज़रूरी है जितना शादी से पहले, क्योंकि Intimacy अधिकार नहीं बल्कि आपसी समझ और सम्मान पर टिके रिश्ते की नींव है।

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Deepika Aartthiya
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AI image : (News18)

शादी के बाद पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध आम बात है। मगर इसमें दोनों कि सहमति होना बहुत ज़रुरी है। भारतीय समाज में शादी को लेकर अक्सर ये धारणा रही है कि शादी के बाद पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंध automatic right बन जाते हैं। लेकिन सच ये है कि शादी के बाद भी महिलाओं का Consent (सहमति) उतना ही ज़रूरी है जितना शादी से पहले। 

Married life में शारीरिक संबंध सिर्फ एक फॉर्मैलिटी नहीं, बल्कि पति-पत्नी के बीच विश्वास और समझ का प्रतीक होते हैं। इसलिए दोनों की इच्छाओं और सहमति का सम्मान करना हर रिश्ते की मजबूती के लिए अनिवार्य है। पति पत्नी दोनों के लिए समझाना ज़रूरी है कि Intimacy कोई अधिकार नहीं बल्कि आपसी समझ और सम्मान पर टिके रिश्ते की नींव है।

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Marital Intimacy: शादी के बाद भी ज़रूरी है महिलाओं का Sex में Consent

1. भावनाओं और प्यार की अहमियत (Importance of Emotions and Love)

एक तरह से देखा जाए तो शारीरिक संबंध में ज़ोर जबर्दस्ती से नहीं बल्कि भावनाओं और प्यार को सबसे ज़्यादा अहमियत दी जानी चाहिए। क्योंकि Intimacy तभी Healthy और meaningful होती है, जब उसमें दोनों की इच्छा और भावनाएँ शामिल हों।

2. ‘ना’ नहीं कह पाती

महिलाएं कई बार केवल इसलिए ना नहीं कह पातीं हैं क्योंकि उन पर समाज का दबाव, रिश्ते को बचाए रखने का डर और पत्नी का कर्तव्य जैसी बातें और सोच हावी हो जाती है। लेकिन इस चुप्पी को उसकी सहमति करार देना बिल्कुल गलत है। Consent का मतलब है बिना किसी दबाव के अपनी इच्छा से और पूरी समझ के साथ अपने पति से शारीरिक संबंध बनाने के लिए हाँ कहना।

3. मानसिक तनाव और असुरक्षा की भावना (Mental Stress and Insecurity)

कोई महिला फिर चाहे वो आपकी पत्नी ही क्यों ना हो अगर सेक्स के लिए तैयार नहीं है, तो उसका “ना” उतना ही मान्य है जितना किसी भी रिश्ते में होना चाहिए। देखा जाए तो वैवाहिक अंतरंगता (Marital intimacy) केवल शारीरिक संबंध तक ही सीमित नहीं होती। ये पति-पत्नी के बीच भावनात्मक जुड़ाव, विश्वास और आपसी सम्मान का बैंलेंस है और जब Relationship में Consent को अनदेखा किया जाता है, तो रिश्ते में दूरी, असुरक्षा और मानसिक तनाव पैदा होता है।

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4. शादी एक लाइसेंस नहीं

अक्सर महिलाओं की इच्छाओं को महत्व ना दिए जाने पर वे Guilt या Trauma में जीने लगती हैं। इसलिए ये ज़रुरी है कि हमारे समाज और रिश्तों में ये आपसी समझ विकसित हो कि ‘शादी एक लाइसेंस नहीं, बल्कि साझेदारी है’। इसमें पति और पत्नी दोनों की इच्छाएँ बराबर मायने रखती हैं। साथ ही पुरुषों को भी समझना होगा कि जब कभी पत्नी ‘ना’ कहे तो वो उसका सम्मान करें। वहीं महिलाओं को भी अपनी भावनाएँ, अपने पार्टनर के सामने रखना सीखना चाहिए। एक Healthy marriage वही है, जहाँ intimacy आपसी समझ और सम्मान पर टिकी हो। Sexual Consent पर खुलकर बातचीत करना ना सिर्फ़ महिलाओं की Well-Being के लिए, बल्कि रिश्ते की मजबूती के लिए भी ज़रूरी है।

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