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Photograph: (File Image )
अपने पार्टनर के साथ रिश्ते में इंटिमेसी होना ज़रूरी है लेकिन अगर आपका मन नहीं है फिर भी आप ‘ना’ नहीं कह पाती हैं तो ये आप दोनों के रिश्ते के लिए एक सीरियस concern बन सकता है। पार्टनर्स के बीच सेक्स या इंटिमेसी हमेशा एक म्यूच्यूअल डिसीज़न होना चाहिए। तभी आप उन पलों को अच्छे से एंजॉय कर पाते हैं।
अपने पार्टनर के साथ इंटिमेट होते समय अक्सर महिलाएँ ‘ना’ कहने से हिचकिचाती हैं। Consent हर रिश्ते की नींव है। अगर आप किसी वजह से अपने साथी के साथ इंटिमेट होने के लिए तैयार नहीं हैं तो आप सीधे शब्दों में ‘ना’ कह सकती हैं।
Sexual Health: जानिए कैसे intimate पलों में भी कह सकती हैं ‘ना’
1. Consent का महत्व
अपने पार्टनर के साथ आपका रिश्ता कितना भी गहरा क्यों न हो लेकिन इंटिमेट पलों में कम्फर्टेबल और सेफ महसूस करना हर इंसान का अधिकार है। बहुत सी महिलाएँ अक्सर इस कशमकश में फँसी रहती हैं कि अगर उन्होंने “ना” कहा तो कहीं रिश्ता बिगड़ न जाए या साथी उन्हें गलत न समझ ले। अगर आप सहज नहीं हैं तो आपको स्पष्ट रूप से “ना” कहने का हक है।
2. अपनी भावनाओं को व्यक्त करें
कई बार देखा जाता है कि समाज और रिश्तों के दबाव में आकर महिलाएँ अपने पार्टनर से खुलकर ‘ना’ नहीं कह पातीं। और जब वो सीधे तौर पर ‘ना’ नहीं कह पातीं तो बहाने देने लगती हैं। लेकिन अपने साथी के साथ अपनी फीलिंग्स शेयर करना ही सबसे बेहतर तरीका है। आप अपनी फीलिंग्स साफ़ शब्दों में बता सकती हैं।
3. Guilt महसूस न करें
बहुत बार महिलाएँ सोचती हैं कि मना करने से वो एक बुरी पार्टनर कहलाएँगी। मगर ये सच नहीं है क्योंकि अपनी फीलिंग्स को एक्सप्रेस करने से या ‘ना’ कह देने से आपका पार्टनर के प्यार कम नहीं हो जाता। रिश्तों में ‘ना’ कहना भी healthy relationship का एक हिस्सा है। अगर आपका रिश्ता ट्रस्ट और रिस्पेक्ट पर टिका है, तो आपका पार्टनर आपकी बात को समझेगा।
4. Safe space बनाएँ
रिलेशनशिप में कम्युनिकेशन बेहद अहम रोल अदा करता है। आप जितना ईमानदारी के साथ अपने साथी से कम्यूनिकेट करेंगी रिश्ता उतना ही सेफ और मज़बूत बनेगा। जब दोनों के बीच म्यूचुअल रिस्पेक्ट होती है, तो आपकी “ना” भी रिश्ते को मज़बूत ही बना सकती है।
5. Myths को तोड़े
समाज में महिलाओं के consent को लेकर कई मिथ्स हैं, जिसके चलते ये मान लिया जाता है कि शादी या लंबे समय से चल रहे रिश्ते में ‘ना’ कहने का हक़ नहीं है। लेकिन ये एक ग़लत सोच है। आप जब चाहे तब ‘ना’ कह सकती हैं और इन मिथ्स को ब्रेक करने की ओर कदम बढ़ा सकती हैं। याद रखिए हर सिचुएशन में आपका consent मायने रखता है। रिश्ते में दोनों पार्टनर्स की सहमति (consent), फीलिंग्स और कम्फर्ट equally इंपोर्टेंट हैं।