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क्या शादी मे मुश्किलें बढ़ रही हैं? तो खटखटाएं मैरिज कॉउंसलर का दरवाज़ा

पति-पत्नी का रिश्ता उतार- चढ़ाव भरा होता है और उनके जीवन मे बदलाव आना स्वाभाविक भी हो सकता है। इस कारण आपस में झगड़े होना नार्मल होता है लेकिन इसे आपसी समझ से संभाला भी जा सकता है।

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Kavya Gupta
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Relationship Problem(freepik)

(Image Source: freepik)

When Should You Consult A Marriage Counselor: कई बार जब रिश्ते में समस्याएं बढ़ जाती हैं और समझौते नहीं होते हैं, तो काउंसलिंग लेना एक अच्छा उपाय हो सकता है। काउंसलर की मदद से दोनों पार्टनर्स को अपनी समस्याओं को समझने और सुलझाने में मदद मिलती है। यह उन्हें एक नई नजरियां प्राप्त करने में मदद कर सकता है और उनके रिश्ते को मजबूत कर सकता है।

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क्या शादी मे मुश्किलें बढ़ रही है, तो खटखटाएं मैरिज कॉउंसलर का दरवाज़ा 

1. असीमित झगड़े बढ़ने पर

अगर आपके रिश्ते  में झगड़े और विवाद बढ़ जाते हैं तो ऐसे में काउंसलिंग की जरूरत हो सकती है। यह सही राह पर ले जाने में मदद कर सकता है, संबंधों को समझने में मदद कर सकता है, और संबंधों को बेहतर बनाए रखने के लिए टूल्स प्रदान कर सकता है।

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2. बातचीत न होना 

अगर पति और  पत्नी के बीच बातचीत नहीं हो रही है, तो यह एक समस्या हो सकती है। बातचीत को सुधारने के लिए सबसे अहम होता है एक-दूसरे को समझने का प्रयास करना। कभी-कभी एक तिलमिलाहट या किसी बात पर गुस्सा इतना बढ़ जाता है की दोनो एक दूसरे से सीधे मुंह बात ही नही करते। ऐसी स्थिति में, काउंसलिंग का इस्तेमाल करके अपने संबंध में सुधार किया जा सकता है।

3. साथी पर विश्वास न करने पर

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एक संबंध में विश्वास और समझदारी की भावना काफी महत्वपूर्ण होती है। यदि किसी व्यक्ति के मन में संदेह है और वह अपने साथी के प्रति विश्वास नहीं कर पा रहा है, तो यह संबंध को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे स्थितियों में, बातचीत को बढ़ावा देना, समस्याओं को समझना, और काउंसलिंग मदद कर सकती है।

4. इंटिमेसी की कमी होने से

इंटिमेसी न केवल शारीरिक सम्बन्ध को मजबूत बनाती है, बल्कि यह दोनों पार्टनरों के बीच संबंध को भी मजबूत करती है। कई बार, इंटिमेसी की कमी सामाजिक, रोमांचक या साइकोलॉजिक मुद्दों का परिणाम हो सकती है। इस तरह की समस्याओं का सामना करने के लिए काउंसलिंग लेना सही होता है।

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5. एक पार्टनर का रिश्ते में डिसिंटरेस होना

इसका मतलब हो सकता है कि वह अपने साथी के साथ जुड़े होने की भावना या रिश्ते के प्रति आकर्षण में कमी महसूस कर रहे हैं। यह समस्या संबंधों और खुशहाली को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, इस प्रकार की संकेतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और इसे परिवार, दोस्तों या काउंसलिंग की मदद से सुलझाना चाहिए।

6. लॉन्ग डिस्टेंस के असर से

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दूरी संबंधों को संभालने में मुश्किलें पैदा कर सकती है। ऐसी स्तिथि में तलाक लेने तक भी पहुंचा जा सकता है। इस समस्या का समाधान करने के लिए, बातचीत तो जरूरी है ही, साथ ही अपनी दूरी कम करने या हटाने के कई तरीके जैसे कि समय पर वीडियो कॉल, मैसेज करना, मिलने की प्लानिंग करना और काउंसलिंग काफी इफेक्टिव साबित हो सकती है।

7. समस्या को न सुलझाना 

समस्याओं को न सुलझाना रिश्ते को कमजोर और कठिन बना सकता है। इसके बजाय, समस्याओं को समझने और साझा करने के लिए बातचीत का सहरा ले सकते है। सही समय पर समस्याओं को सुलझाने के लिए साथी के साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि संबंध में विश्वास बना रह सके। और यदि यह चीज काम न आए तो काउंसलिंग लेना एक प्रभावी तरीके है।

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