Why Being in a Situationship Can Lead to Emotional Stress: सिचुएशनशिप दो लोगों के बीच एक ऐसा संबंध है जब दो लोग एक दूसरे के साथ समय बिताते हैं और पूरा अटेंशन देते हैं पर वह इस रिश्ते को नाम नहीं देना चाहते। यह न तो दोस्ती होता है ना ही प्रेम का रिश्ता। ऐसे रिश्ते में रहते हुए कभी-कभी दोनों में से कोई एक व्यक्ति दूसरे की तरफ आकर्षित हो जाता है और रिश्ते को परिभाषित करना चाहता है। पर सामने वाले व्यक्ति इसे ना करता रहता है। सिचुएशनशिप का रिश्ता एक अस्थिर और अस्थाई मानी जाता है। उसमें रिश्ते का भविष्य धुंधला दिखता है। यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर नेगेटिव प्रभाव डालता है। तो आईए जानते हैं सिचुएशनशिप में रहना क्यों बन सकता है भावनात्मक तनाव का कारण।
जानिए क्यों है सिचुएशनशिप भावनात्मक तनाव का कारण
1.खुद को दोष
एक सिचुएशनशिप आपको केवल दर्द ही दे सकता है। इस कारण कुछ लोग ऐसे होते हैं जो वह खुद को हमेशा दोष देते रहते हैं कि उन्होंने यह स्थिति क्यों आने दी जिसकी वजह से आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में कमी हो सकती है। जो भावनात्मक तनाव का कारण बन सकता है हमें यह समझना चाहिए कि एक सिचुएशनशिप में दो लोग शामिल होते हैं हमारी अकेले की गलती नहीं होती।
2.सामाजिक दबाव
समाज में रिश्तो को लेकर बहुत सारे मानदंड और अपेक्षाएं होते है। सिचुएशनशिप समाज के मानदंड में नही आता। इसके कारण व्यक्ति अपने सिचुएशनशिप को लेकर शक में रहता है। वह हमेशा अफसोस मानाता रहता है और समाज के दबाव में आ जाता है। वह अपने निर्णय पर सदैव संदेह करता रह जाता है।
3.प्रतिबद्धता की कमी
सिचुएशनशिप में कमिटमेंट की कमी होती है। सिचुएशनशिप में रहने वाले व्यक्ति कभी भी एक दूसरे को कमिटमेंट नहीं देते हैं। यह रिश्ता कभी भी खत्म हो सकता है इसकी गारंटी बिल्कुल भी नहीं होती। जिसकी वजह से व्यक्ति हमेशा तनाव में रहता है। इसके कारण लोग भावनात्मक रूप से अस्थिर महसूस कर सकते हैं।
4.अस्पष्टता और असुरक्षा
सिचुएशनशिप में संबंध की स्पष्ट परिभाषा नहीं होने के कारण लोग असुरक्षित महसूस कर सकते हैं। इस संबंध में कोई स्पष्ट दिशा या उद्देश्य नहीं होता। जिससे भावनात्मक असुरक्षा उत्पन्न हो सकती है। व्यक्ति को यह समझ नहीं आता कि वह कहाँ खड़ा है, और यह अनिश्चितता तनाव को जन्म देती है।
5.संबंध में असंतुलन
कई बार सिचुएशनशिप में एक पक्ष दूसरे की अपेक्षा अधिक भावनात्मक रूप से जुड़ा होता है। यह असंतुलन संबंध में असंतोष और तनाव को बढ़ावा दे सकता है। जिससे व्यक्ति को हमेशा खुद को साबित करने की जरूरत महसूस हो सकती है।