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कैसे पैरेंट्स बच्चे का सही दोस्त चुनने में मदद कर सकते हैं?

जन्म से हमें बहुत से रिश्ते मिलते हैं लेकिन दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हम खुद बनाते हैं। दोस्त का हमारी जिंदगी में अहम रोल होता है।चलिए जानते हैं कि कैसे बच्चों की दोस्ती में मां-बाप रोल प्ले कर सकते हैं-

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Rajveer Kaur
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Image Credit: Freepik

How Parents Can Help KidsTo Choose Friends Wisely: जन्म से हमें बहुत से रिश्ते मिलते हैं लेकिन दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है जो हम खुद बनाते हैं। दोस्त का हमारी जिंदगी में अहम रोल होता है। अगर जिंदगी में अच्छे दोस्त मिल जाए तो हमें आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है। जब बच्चे दोस्त बनाते हैं तो उन्हें किसी भी बात का कोई भी ज्ञान नहीं होता है। वह एक कोरे कागज की तरह होते हैं जिन्हें हम जैसे परवरिश देते हैं वो वैसे ही बन जाते हैं। इसलिए मां-बाप का बच्चों की दोस्ती में बहुत अहम रोल बन जाता है। बढ़ती हुई उम्र के साथ बच्चों के दोस्तों के ऊपर ध्यान देना भी मां-बाप का ही फर्ज है और बच्चें के दोस्त चुनते समय उन्हें गाइड जरूर करना चाहिए। चलिए जानते हैं कि कैसे बच्चों की दोस्ती में मां-बाप रोल प्ले कर सकते हैं-

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कैसे पैरेंट्स बच्चे का सही दोस्त चुनने में मदद कर सकते हैं?

उन्हें सुनना शुरू करें

मां-बाप को बच्चों की बातें ध्यान से सुनना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि इससे माँ बाप को बच्चों की जिंदगी के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा। जब बच्चा आपके साथ कुछ बात करने आता है तो उसे नजरअंदाज मत करें। इससे वो अगली बार आपके पास आने से पहले जरूर सोचेगा और शायद वह आपके पास ना भी आए। इसलिए बच्चे जो भी अपने दोस्तों के बारे और अपनी जिंदगी के बारे में आपके साथ शेयर करते हैं, आपको उसे सुनकर उनकी फैसले लेने में मदद करनी चाहिए क्योंकि आपकी गाइडेंस उनकी जिंदगी के हर स्टेप पर बहुत अहमियत रखती है।

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नए लोगों से मिलने दें

फ्रेंडशिप बच्चों की पर्सनैलिटी और डेवलपमेंट के लिए बहुत जरूरी है। इसलिए बच्चों को नए लोगों से मिलने दे। ज्यादा रोक टोक करने से बच्चा लोगों के बीच में जाने से घबराने लग जाता है। उसे बातचीत करने में दिक्कत होती है। जब बच्चा लोगों से मिलेगा और उनके साथ बातचीत करेगा तो वो अपनी कुछ बातें उनके साथ शेयर करेगा और उनकी कुछ बातें सीखेगा। इस दौरान आप उन्हें रोकने रोकने की बजाय मॉनिटर करें और कहीं गलत होने पर उन्हें गाइड करें।

इमोशनल सपोर्ट दें

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फ्रेंडशिप के दौरान बच्चे बहुत सारे उतार-चढाव में से गुजरते हैं जिसके कारण कई बार मनोबल टूट जाता है और उदास रहने लग जाते हैं। आपको ऐसे समय में बच्चों को यह समझाना है कि जिंदगी में उतार-चढ़ाव आते ही रहते हैं और यह जिंदगी का अटूट हिस्सा है। इसके साथ ही अगर कोई उन्हें छोड़कर चला जाता है तब भी आपके बच्चे के लिए इमोशनल सपोर्ट बहुत जरूरी है क्योंकि ऐसी स्थिति में बच्चे ज्यादातर बात नहीं करते और अपने इमोशंस को दबाकर रखते हैं जो उनकी मेंटल हेल्थ के लिए बिल्कुल भी सही नहीं है। वे सब लोगों से अलग रहना शुरू कर देते हैं और किसी एक्टिविटी में पार्टिसिपेट करने से कतराते हैं जिससे उनकी ग्रोथ में रुकावट आती है।

डाइवर्सिटी को बढ़ावा दें 

बच्चों के फ्रेंड सर्कल में डाइवर्सिटी को बढ़ावा देना आपकी जिम्मेदारी है। जब आप बच्चे को भेदभाव नही करना सिखाएंगे और उन्हें अपने से अलग लोगों से मिलने से नहीं रोकेंगे तो बच्चा हर इंसान के साथ एक तरह ही व्यवहार करेगा। इससे बच्चों को दूसरे लोगों के बारे में भी जानने का मौका मिलेगा और वह उनका मजाक नहीं बनाएगा बल्कि उनकी मुश्किलों को भी समझेगा। बच्चों को डाइवर्सिटी का कॉन्सेप्ट सिखाने से आप समाज में भी इसे ला सकते हैं।

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हर स्थिति में उनके साथ दें

बच्चों को हर स्थिति में आपके साथ की जरूरत होती है। जब आप बच्चे को नई चीजें ट्राई करने की छूट देंगे तब बच्चे कुछ गलत भी करेंगे लेकिन इस बात पर उन्हें डांटना सही बात नहीं है बल्कि उन्हें उस पर सही करना और आगे बढ़ाने की हिम्मत देना सही पेरेंटिंग है इसलिए आप हमेशा बच्चों की गलत और सही समय में उसके साथ खड़े रहे क्योंकि आपका साथ उसके लिए बहुत मैटर करता है। किसी भी स्थिति में आप उसे अकेले मत छोड़े जिससे बच्चे की मेंटल हेल्थ अच्छी रहेगी और वह कभी भी खुद को अकेला नहीं महसूस करेगा।

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