Parenting Tips: बच्चों को सही और गलत में फर्क समझाना उनकी जिंदगी की दिशा तय करने जैसा है। यह न सिर्फ उन्हें दूसरों के साथ सही व्यवहार करना और उनकी भावनाओं को समझना सिखाता है, बल्कि यह उनके चरित्र निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सही और गलत की समझ रखने वाले बच्चे बड़े होकर ईमानदार और नैतिकवान बनते हैं। साथ ही, यह उन्हें जिंदगी की चुनौतियों का सामना करने के लिए भी तैयार करता है।
आइए देखें कि आप 5 तरीकों से अपने बच्चों को सही और गलत के बीच का अंतर सिखा सकते हैं
1. कहानियों और किस्सों का सहारा लें
बच्चों को बचपन से ही कहानियाँ और किस्से सुनाने की भारतीय परंपरा का फायदा उठाएँ। ऐसी कहानियाँ चुनें जिनमें स्पष्ट रूप से अच्छाई और बुराई के बीच का फर्क बताया गया हो। उदाहरण के लिए, आप उन्हें राम और रावण की कहानी सुना सकते हैं, जहाँ राम सही का और रावण गलत का प्रतीक है। इससे बच्चे यह समझ पाएंगे कि अच्छे कर्मों के क्या फल मिलते हैं और बुरे कर्मों की क्या सजा।
2. रोजमर्रा की जिंदगी से उदाहरण दें
बच्चों को सिर्फ कहानियों से ही नहीं, बल्कि रोजमर्रा की जिंदगी से भी सीखने में मदद करें। उदाहरण के लिए, अगर आप सब्जी खरीद रहे हैं और दुकानदार आपको कम सब्जी देता है, तो आप उसे बता सकते हैं। इस दौरान बच्चे को समझाएं कि सही मात्रा लेना जरूरी है। पार्क में खेलते समय अगर कोई बच्चा दूसरे को धक्का देता है, तो आप उसे यह सिखा सकते हैं कि धक्का देना गलत है और खेल सभी के लिए मजेदार होना चाहिए।
3. भावनाओं को समझना सिखाएं
बच्चों को सिखाएं कि उनकी भावनाएँ जायज़ हैं, लेकिन उनके हिसाब से व्यवहार करना हमेशा सही नहीं होता। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा गुस्से में किसी को चोट पहुँचा देता है, तो आप उसे यह समझा सकते हैं कि गुस्सा होना ठीक है, लेकिन गुस्से में मारना गलत है। गुस्से को शांत करने के तरीके बताएं, जैसे गहरी सांस लेना या किसी से बात करना।
4. सवाल पूछने को प्रोत्साहित करें
बच्चों को यह सिखाएं कि वे सवाल पूछने से न हिचकिचाएं। अगर उन्हें किसी चीज़ के बारे में सही और गलत का फर्क समझ नहीं आता है, तो आप उन्हें जवाब दें। उदाहरण के लिए, अगर आपका बच्चा पूछता है कि किसी का सामान चुराना क्यों गलत है, तो आप उसे समझा सकते हैं कि चोरी करने से दूसरा व्यक्ति परेशान होता है और हमें दूसरों का सामान सम्मान करना चाहिए।
5. सकारात्मक आदर्श स्थापित करें
बच्चे अपने आसपास के लोगों को देखकर सीखते हैं। इसलिए, आप खुद सही और ईमानदारी का उदाहरण बनें। बच्चों के सामने झूठ न बोलें, दूसरों का आदर करें और दयालु बनें। बच्चे आपकी हर हरकत को गौर से देखते हैं और उसी के अनुसार सीखते हैं।