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बेटी की परवरिश में माता-पिता किन बातों का रखें ध्यान?

पेरेंटिंग: बेटे और बेटी की परवरिश में काफी फर्क होता है। जहां समाज में बेटों को आजादी दी जाती, वहीं बेटियों को कुछ नियमों के दायरे में रहने को बोला जाता हैं। यही कारण है कि माता-पिता को अपने बेटी की परवरिश करते वक़्त कई बातों को ध्यान रखना पड़ता हैं।

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Ruma Singh
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(Image Credit- Hindustan)

Keep These Things In Mind While Raising Daughters: बेटियां परिवार की शान होती हैं। वे घर में खुशियां और उल्लास लाती हैं। वैसे तो सभी पेरेंट्स अपने बच्चों को बेहतर से बेहतर बनाना चाहते हैं लेकिन बेटियों के मामले में माता-पिता को कुछ खास ख्याल रखना ज़रुरी होता। बेटे और बेटी की परवरिश में काफी फर्क होता है। जहां समाज में बेटों को आजादी दी जाती, वहीं बेटियों को कुछ नियमों के दायरे में रहने को बोला जाता है। यही कारण है कि माता-पिता को अपने बेटी की परवरिश करते वक़्त कई बातों को ध्यान रखना पड़ता है। 

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बेटी की परवरिश में इन बातों का रखें ध्यान

बेटियों की परवरिश करते समय माता-पिता को काफी संवेदनशील रहना पड़ता है। उन्हें समाज को ध्यान में रखते हुए उनकी परवरिश करनी पड़ती है क्योंकि समाज में बेटियों के लिए कई तरह के नियम बने हुए हैं। माता-पिता इन बातों को ध्यान में रखते हुए बेटियों की परवरिश कर सकते हैं।

1. बेटियों को हीन भावना से बचाएं

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माता-पिता को यह ध्यान रखना होगा कि उनकी बेटियों को किसी भी तरह से हीन भावना का शिकार न होना पड़े। समाज में ऐसे ही बेटियों को अलग नजर से देखा जाता हैं, जो उनके आत्मविश्वास को खत्म कर देता है और मानसिक तौर पर उन्हें समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 

2. बेटियों को सही शिक्षा दें

बेटियों को शिक्षा देना बहुत ज़रुरी है क्योंकि शिक्षा से ही बेटियों को ज्ञान और समझ बढ़ती है। वह एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर इंसान बन सकती हैं वहीं, माता-पिता को उन्हें अपनी इच्छाशक्ति का उपयोग करना सिखाना चाहिए साथ ही बेटियों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए प्रयास करना चाहिए। 

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3. चुप रहना न सिखाएं

अक्सर माता-पिता अपनी बेटियों को ज़्यादा बोलने की सलाह नहीं देते हैं जो कि गलत है। ऐसा करने के बजाए आप उन्हें अपने लिए बोलना सिखाएं ताकि कभी उनके साथ कुछ गलत हो तो वो अपने लिए आवाज उठा सकें। जब भी वो कुछ बोलें उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुनने की कोशिश करें और बातों को समझें।

4. जेंडर न्यूट्रल बनें

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माता-पिता हमेशा जेंडर न्यूट्रल रहें यानि लैंगिक आधार पर कोई भेदभाव न करें। भेदभाव करने से बेटियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे वो कभी भी खुद को बेहतर नहीं समझ सकेगीं। अगर घर में ही उनके साथ भेदभाव हो तो वो बाहर क्या उम्मीद रखेंगीं?

5. बेटियों को अपने अधिकारों के बारे में बताएं

बेटियों को अपने अधिकार के बारे में जानने का पूरा हक है, इससे वो जान पाएंगी कि उन्हें क्या अधिकार हैं और अपने अधिकारों की रक्षा कैसे करनी हैं? माता-पिता को अपने बेटियों के अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए उन्हें कानून और सामाज के बारे में शिक्षा देनी चाहिए।

Daughter बेटी पढ़ाओ Daughter Safety बेटी की ज़िंदगी
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