Reasons New Mothers Should Get Extra Care: जब कोई महिला नई मां बनती है उसके लिए बदलावों को स्वीकार करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है और इसमें समय भी लग सकत सकता है। ऐसे में महिलाओं को परिवार के साथ ही बहुत ज्यादा जरूरत होती है। इस जर्नी में उन्हें बहुत सारे चैलेंज भी फेस करने पड़ते हैं। इसके साथ ही बहुत सारे इमोशनल बदलाव भी आते हैं जैसे मूड स्विंग, बेबी ब्लूज या फिर एंजायटी। यह महिलाओं की पेरेंटिंग की शुरुआत होती है। आईए जानते हैं नई माताओं की केयर ज्यादा क्यों करनी चाहिए-
New Mother's की तरफ ज्यादा ध्यान देने की जरूरत क्यों?
ब्रेस्टफीडिंग शुरू हो जाती है
नई माँ को सबसे बड़ा चैलेंज ब्रेस्टफीडिंग (Breastfeeding) के लिए आता है क्योंकि यह उनका पहला अनुभव होता है। बच्चों के साथ तालमेल बैठने में भी समय लगता है। इस तरह हमने बहुत सारे चैलेंज भी आते हैं जैसे बच्चों की पोजीशन का ध्यान रखना पड़ता है, उनका मुँह निप्पल के बिल्कुल सामने हो और बहुत पास में हूं। इसके साथ ही बच्चे के कंफर्ट का ध्यान भी रखना पड़ता है कि कहीं वो किसी पेन में ना हो। यह प्रक्रिया मां के लिए भी पेनफुल हो सकती है। शुरुआत में आपके बच्चे को बार-बार फीड करवाना पड़ता है जिस कारण नींद भी पूरी नहीं हो पाती है। ऐसे में आपको याद रखना है कि आप अकेले नहीं है और जरूरत के समय आप मदद मांग सकते हैं।
रिकवरी में समय लगता है
पोस्टपार्टम रिकवरी बहुत जरूरी है। इसमें समय लग सकता है। यह हर महिला की एक यूनिक जर्नी है।यह हीलिंग प्रोसेस है जिसमें आप चीजों को फिर से एडजस्ट करते हैं। ऐसे में महिलाओं को ज्यादा देने ध्यान देने की जरूरत है क्योंकि उन्हें ऐसे समय में अच्छे तरीके से आराम चाहिए। उन्हें ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए और वेल बैलेंसड डायट खानी चाहिए। उनकी इमोशनल हेल्थ को भी नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। उनके फैमिली मेंबर्स को इस बात का ध्यान देना चाहिए कि वह ज्यादा से ज्यादा उनके साथ समय व्यतीत करें। पार्टनर को चाहिए कि वह अपनी पत्नी को स्पेशल अटेंशन दे। बच्चे की जिम्मेदारियां को पार्टनर को भी समझना चाहिए और घर के कामों में भी उनकी मदद करनी चाहिए।
इमोशनल चैलेंज भी फेस करने पड़ते हैं
नई मदर्स को बहुत सारे इमोशनल चैलेंज भी आते हैं जैसे बेबी ब्लू, एंजायटी, स्ट्रेस और मूड स्विंग्स। ऐसे में परिवार का साथ बहुत जरूरी है। उन्हें आपको अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। हर समय आपके साथ किसी का किसी न किसी को रहना चाहिए। उन्हें मोरल सपोर्ट देना परिवार की जिम्मेदारी है। इसके साथ ही आप अपने पार्टनर के साथ या जिन पर विश्वास करते हैं, उनके साथ खुलकर बातचीत करें और अपने संघर्षों को उनके साथ शेयर करें। अगर आपको किसी चीज की जरूरत है तो उसके बारे में खुलकर बताएं। रात के समय अगर आपको फीड देने में या फिर सोने में परेशानी हो रही है तब भी मदद के लिए पीछे मत रहे।
नींद का भी त्याग करना पड़ता है
नई मदर्स के लिए स्लीप रूटीन सेटअप करना बहुत मुश्किल हो जाता है क्योंकि बच्चा कभी भी उठ सकता है और उसे आपकी जरूरत पड़ सकती है। ऐसे में उसे बार-बार फीड करना भी पड़ सकता है। कई बार महिलाओं को भी सोने में दिक्कत आती है। ऐसे में आपको चाहिए कि आप बच्चे का भी स्लिप रूटीन फिक्स करें ताकि आपको सोने में परेशानी ना हो। ऐसे समय में नैप आपके लिए बहुत फायदेमंद हो सकती है। इससे आप एनर्जेटिक महसूस करेंगे। ऐसे में आपको सेल्फ केयर की भी बहुत जरूरत है। आप अपनी फिजिकल और मेंटल वेल बीइंग के ऊपर ध्यान दें और जरूरत पड़ने पर मदद जरूर मांगे।
हार्मोनल बदलाव भी होते हैं
डिलीवरी के बाद हार्मोनल हार्मोंस में बदलाव होना स्वाभाविक है क्योंकि आपकी बॉडी प्रेगनेंसी पीरियड से पोस्टपार्टम में शिफ्ट हो रही है। ऐसा हर महिला के साथ होता है लेकिन ऐसे समय में खुद को ध्यान रखना बहुत जरूरी है। डिलीवरी के बाद एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन में कमी आ जाती है जिसके कारण आपको मूड स्विंग, ब्रेस्ट में टेंडर्नेस और इमोशनल चेंज दिखाई पड़ते हैं। इसके साथ ही प्रोलैक्टिन हार्मोन बढ़ने लगता है जो ब्रेस्टफीडिंग के लिए मिल्क प्रोडक्शन में मदद करता है। इसके कारण आपको थकावट रहती है और आपका मूड में बदलाव होते रहते हैं। ऐसे में बॉडी में अन्य बदलाव भी होते हैं जिस कारण आपको ज्यादा ध्यान की जरूरत पड़ती है।