Daughters Special: महिला और पुरुष दोनों ही इस धरती में एक समान हैं, ऐसे में ये समझना की महिला कमजोर है, सही नहीं। जरूरी है महिलाओं को ही अपने अंदर से ये आत्मविश्वास बनाना कि वो किसी से कम नहीं, उन्हें आगे ले जा सकता है। इसके लिए हर माता-पिता को चाहिए कि वो अपने बच्चों खासकर बेटियों को बेटोंं के समान ही महत्व दें और पालें।
कमजोरी घर से ही शुरू होती है। अक्सर माता-पिता बेटियों को बहुत ज्यादा ही सुरक्षा देते हैं जिससे जब वो सबसे पहले कोई बड़ा काम कर रही होती हैं तो उन्हें कॉन्फीडेंस नहीं आता। ऐसे में जरूरी है बेटा और बेटियों दोनों को ही समान रूप से पालें और काम करने की आजादी दें।
बेटियों को कैसे आत्मविश्वासी बनाएं
माता-पिता को चाहिए अपने बच्चों खासकर बेटियों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें हर वो मौका दें जिससे अक्सर बेटियां पीछे रह जाती हैं। आइए आज जानें बेटियों को कैसे आत्मविश्वासी बनाएं :-
खुद से निर्णय लेने दें
एक उम्र के बाद जरूरी है आप बेटियों को उनके द्वारा लिए जा रहे निर्णयों का विरोध न करें। हालांकि अब ये शुरू हो गया है। अब माता-पिता अपनी बच्चियों के लिए आगे आ रहे हैं। वे उनके खुद के निर्णयों को सराह रहे हैं। ऐसा करने से आपकी बेटी में आत्मविश्वास आएगा और वो आगे बढ़ सकेगी। उसे महसूस होगा कि उसके माता-पिता उसके द्वारा उठाए जा रहे कदमों का सम्मान कर रहे हैं।
शिक्षा से वंचित न रखें
बहुत से घरों में बेटों को तो शिक्षा दी जाती है लेकिन बेटियों को आगे पढ़ने नहीं दिया जाता। ऐसा माना जाता है कि बेटी का घर फिर उसका ससुराल है। जरूरी है इस तरह की सोच से हट कर आगे आकर माता-पिता अपनी बेटियों को शिक्षा के लिए आगे पढ़ाएं। एक बेटी पढ़ती है तो परिवार पढ़ता है। जरूरी है और बेटियों को भी पढ़ाई के लिए प्रेरित करें।
घूमने की स्वतंत्रता दें
जरूरी है कि आप अपनी बेटियों को घूमने के लिए उन्हें स्वतंत्रता दें। ऐसा करने से नई-नई जगहों में जाकर नया कॉन्फीडेंस आता है। नए लोग, नई संस्कृति, नया विकास और बहुत कुछ नया सीखने को मिलता है। घूमने के साथ-साथ बहुत से संघर्ष भी सामने आते हैं। जब बच्चे घूमने जाते हैं तो उन्हें बहुत सी चीजों का ज्ञान मिलता है जो घर बैठे नहीं मिलता। ऐसे में जरूरी है बेटियों को घूमने की आजादी दें।
नए वक्त के साथ चलें
जमाना बदल गया है, नई जेेनेरेशन आ रही हैं, नई सोच के साथ। ऐसे में पुरानी रूढ़ीवादी सोच के साथ चलना न परिवार के लिए अच्छा होता है और न समाज के लिए। जरूरी है नई पीढ़ी के साथ तालमेल बनाते हुए चलें। आज के बच्चे बहुत कुछ आगे हैं। ऐसे में बच्चों को किसी भी तरह कमतर समझना सही नहीं। फिर वो चाहें बेटी ही क्यों न हो।
जब घर पर बेटी को उसके प्रति समर्थन मिलेगा, तब बेटी कहीं ज्यादा हटकर समाज के सामने आगे आ सकेगी। जरूरी है परिवार से ही बेटियों को साथ मिले। उन्हें आजादी मिले अपने कामों को करने की।