Advertisment

Parenting Tips: अपने बच्चे की तुलना दूसरो से क्यों नहीं करनी चाहिए?

बच्चों की तुलना करने की आदत कई माता-पिता में आम होती है। यह आदत बच्चों की मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।हर बच्चा अपने तरीके से अद्वितीय और खास होता है। इसलिए, बच्चों की तुलना करने से बचना आवश्यक है।

author-image
Srishti Jha
New Update
Compair

Image credit: freepik

Why should you not compare your children with others?बच्चों की तुलना करने की आदत कई माता-पिता में आम होती है। यह आदत बच्चों की मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। हर बच्चा अपने तरीके से अद्वितीय और खास होता है। इसलिए, बच्चों की तुलनाImage credit freepik  करने से बचना आवश्यक है। इस लेख में, हम चर्चा करेंगे कि क्यों अपने बच्चों की दूसरे से तुलना नहीं करनी चाहिए।

Advertisment

अपने बच्चें की तुलना दूसरो से क्यों नहीं करनी चाहिए?

1. आत्म-सम्मान को हानि पहुँचाना

बच्चों की तुलना करना उनके आत्म-सम्मान को कमजोर करता है। जब वे लगातार सुनते हैं कि वे किसी और से कमतर हैं, तो वे अपने आप को नाकाबिल मानने लगते हैं। यह उनके आत्मविश्वास को भी प्रभावित करता है और उनके मानसिक विकास में बाधा डालता है।

Advertisment

2. व्यक्तिगत पहचान को दबाना

हर बच्चा अद्वितीय होता है और उनकी अपनी खासियतें होती हैं। तुलना करने से बच्चों की अपनी पहचान और विशेषताओं को समझने और अपनाने में कठिनाई होती है। इससे वे अपने प्राकृतिक गुणों को पहचान नहीं पाते और किसी और की छवि में ढलने की कोशिश करते हैं।

3. प्रतिस्पर्धात्मक भावना को बढ़ावा देना

Advertisment

तुलना करने से बच्चों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना बढ़ती है। यह भावना अक्सर सकारात्मक नहीं होती और इससे बच्चे एक-दूसरे के साथ स्वस्थ संबंध नहीं बना पाते। वे हमेशा खुद को दूसरों से बेहतर साबित करने की कोशिश में लगे रहते हैं, जिससे उनके रिश्तों में तनाव और अविश्वास पनप सकता है।

4. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

तुलना करने से बच्चों में चिंता, अवसाद और तनाव जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। वे हमेशा एक अदृश्य दबाव में रहते हैं और अपने माता-पिता की उम्मीदों पर खरे उतरने की चिंता में डूबे रहते हैं। इससे उनकी मानसिक शांति और खुशी पर असर पड़ता है।

Advertisment

5. सकारात्मक विकास में बाधा

बच्चों की तुलना करने से उनका संपूर्ण विकास बाधित हो सकता है। वे अपनी क्षमताओं और संभावनाओं को पूरी तरह से नहीं पहचान पाते और उनका विकास अधूरा रह जाता है। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को प्रोत्साहित करें और उनकी विशिष्टताओं का सम्मान करें ताकि वे स्वतंत्र और आत्मनिर्भर व्यक्तित्व के रूप में विकसित हो सकें।

parenting Children Care And Parenting comparison दूसरों से तुलना करना Compare Comparing Yourself Digital Era Parenting सामाजिक तुलना
Advertisment