Rights for Woman : बहुत बार ऐसा होता है की महिलाएं अपने अधिकार नहीं जानती जिसका फ़ायदा और लोग उठाते हैं।ऐसा भी सुनने में आता है कि महिला जब थाने गईं, तो उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई या करने से इंकार कर दिया गया। वैसे तो संविधान ने सबको बराबर अधिकार दिए हैं लेकिन फिर भी यहां कुछ अधिकार हैं, जो महिलाओं पर लागू होते हैं। आइए जाने इन अधिकारों को :
Rights Every Woman Should Know
निजी रूप से दे सकती है बयान
अगर कोई रेप पीड़ित महिला है, तो उसका ये पूरा अधिकार है कि वो मजिस्ट्रेट के सामने अपने बयान निजी रूप से दे। इसके लिए वह महिला पुलिस या निजी तौर पर किसी पुलिस की मांग कर सकती है। दंड प्रक्रिया संहिता की धरा 164 पुलिस को ऐसी महिला को उसकी निजता बनाए रखने के लिए निर्देशित है।
गोपनीयता का है अधिकार
किसी भी रेप पीड़िता का नाम कभी भी सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। पीड़िताका नाम सार्वजनिक करने का पुलिस और मीडिया को भी अधिकार नहीं।
जीरो एफ़आईआर का अधिकार
इस अधिकार के तहत कोई भी महिला किसी भी थाने में जाकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है, भले ही वह थाना आपराधिक घटनाक्षेत्र में न आए।
थाने बिना जाए घर से दे सकती है बयान
इस अधिकार के तहत किसी भी महिला को उसके बयान दर्ज कराने के लिए अनावश्यक रूप से थाने नहीं बुलाया जा सकता। महिला अपना बयान परिवारवालों की उपस्थिति में अपने स्थान पर दे सकती है।
असामयिक पंजीकरण का अधिकार
यदि कोई पीड़ित महिला अपने ऊपर हुए किसी भी मामले को लेकर शिक़ायत दर्ज कराती है, तो कोई भी पुलिस या अधिकारी उसकी शिक़ायत को दर्ज करने से नहीं रोक सकता।
ऑनलाइन शिक़ायत दर्ज कराने का अधिकार
दिल्ली पुलिस के निर्देशों के अनुसार, यदि कोई महिला किसी कारणवश थाने जाकर अपनी शिक़ायत दर्ज नहीं करा पा रही है, तब वह ऑनलाइन माध्यम से उसे दर्ज करा सकती है। बाद में पुलिस ख़ुद महिला के स्थान पर पहुँचकर उसके बयान लेगी।
असामयिक गिरफ़्तार न करने का अधिकार
किसी भी महिला को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद नहीं गिरफ़्तार किया जा सकता, जब तक कि मजिस्ट्रेट से लिखित में न आया हो कि क्यों रात में गिरफ़्तारी ज़रूरी है।
फिर आप अपने इन अधिकारों को जानकर अपने ख़िलाफ़ हो रहे अन्याय के विरुद्ध आवाज उठा सकती हैं।