5 Benefits Of Perineal Massage During Pregnancy: गर्भावस्था एक महिला के जीवन का महत्वपूर्ण और विशेष समय होता है। इस समय के दौरान शरीर में कई बदलाव होते हैं, और गर्भवती महिलाएँ अपने और अपने बच्चे के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए विभिन्न उपाय करती हैं। पेरिनियल मसाज एक ऐसा ही उपाय है, जो गर्भावस्था के दौरान बेहद फायदेमंद हो सकता है। पेरिनियल मसाज, जो योनि और गुदा के बीच के हिस्से की मालिश होती है, प्रसव के दौरान और बाद में कई लाभ प्रदान कर सकती है।
गर्भावस्था के दौरान Perineal Massage से मिल सकते हैं ये 5 लाभ
1. फटने का कम जोखिम
गर्भावस्था के दौरान पेरिनियल मसाज करने से प्रसव के दौरान योनि के आसपास की त्वचा और मांसपेशियाँ अधिक लचीली हो जाती हैं। इससे प्रसव के समय फटने का जोखिम कम हो जाता है। मसाज से यह क्षेत्र नरम और खिंचावपूर्ण हो जाता है, जिससे प्रसव के दौरान योनि के फटने की संभावना कम होती है।
2. टांकों की आवश्यकता ना होना
पेरिनियल मसाज से योनि का क्षेत्र अधिक लचीला हो जाता है, जिससे प्रसव के दौरान फटने या कटने की संभावना कम हो जाती है। इससे प्रसव के बाद टांकों की आवश्यकता भी कम हो जाती है। कम टांके लगने का मतलब है कि आपको प्रसव के बाद कम दर्द और असुविधा का सामना करना पड़ेगा।
3. प्रसव की तैयारी
गर्भावस्था के दौरान पेरिनियल मसाज करने से आप प्रसव के लिए शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार हो जाती हैं। मसाज से यह क्षेत्र नरम और अधिक लचीला हो जाता है, जिससे प्रसव के समय योनि को बच्चे के सिर के आकार के अनुसार खिंचने में आसानी होती है। इससे प्रसव के दौरान कम दर्द और तनाव का अनुभव होता है।
4. पेरिनियल दर्द में कमी
पेरिनियल मसाज करने से पेरिनियल क्षेत्र में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे दर्द और असुविधा कम होती है। मसाज से मांसपेशियाँ और ऊतक नरम हो जाते हैं, जिससे प्रसव के बाद कम दर्द का अनुभव होता है। यह प्रक्रिया प्रसव के बाद तेजी से ठीक होने में भी मदद करती है।
5. प्रसवोत्तर असंयम का कम जोखिम
प्रसव के बाद कुछ महिलाओं को मूत्र असंयम की समस्या हो सकती है। पेरिनियल मसाज से पेरिनियल क्षेत्र की मांसपेशियाँ मजबूत होती हैं, जिससे प्रसव के बाद मूत्र असंयम की संभावना कम हो जाती है। मजबूत मांसपेशियाँ मूत्राशय को बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकती हैं, जिससे यह समस्या कम हो जाती है।
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