Intermittent Fasting: जाने महिलाओं के स्वास्थ्य पर इससे होने वाले ये 5 नुकसान

इंटरमिटेंट फास्टिंग महिलाओं के लिए एक फायदेमंद डाइट प्लान हो सकती है लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाने से पहले इससे होने वाले नुकसानों को समझना ज़रूरी है।

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Kirti Sirohi
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Intermittent Fasting

Image: (Freepik)

5 Disadvantages Of Intermittent Fasting On Women Health: इंटरमिटेंट फास्टिंग जो कि आज के समय में बेहद लोकप्रिय डाइट ट्रेंड है, इसमें एक निश्चित समय के लिए खाना बंद कर दिया जाता है और केवल तय समय के अंदर ही खाना खाते हैं। इस फास्ट यानि डाइट व्रत को वज़न घटाने, मेटाबॉलिज़्म बेहतर बनाने और बॉडी को डिटॉक्स करने के लिए काफी असरदार माना जाता है। हालांकि महिलाओं के लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग हमेशा ही फायदेमंद रहे ये जरूरी नहीं क्योंकि महिलाओं के शरीर में बहुत से बदलाव होते हैं और कई तत्वों की कमी या असंतुलन उनके शरीर में रहता है। ऐसे में कुछ महिलाओं को इंटरमिटेंट फास्टिंग को अपनाने के बाद कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। और अगर आप भी इंटरमिटेंट फास्टिंग शुरू करने का सोच रही हैं या करती हैं आपको पता होना चाहिए कि इससे क्या क्या समस्याएं महिलाओं को होने की संभावना रहती है।

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इंटरमिटेंट फास्टिंग के नुकसान

अनियमित पीरियड्स का आना

महिलाओं में पीरियड्स की और अन्य बदलावों की वजह से हार्मोनल असंतुलन की समस्या बहुत होती है और इससे बचने के लिए एक संतुलित और पौष्टिक आहार उनके लिए जरूरी है। लेकिन इंटरमिटेंट फास्टिंग के कारण शरीर को लंबे समय तक भोजन नहीं मिलता जिससे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है और भारी तनाव की समस्या होती है। इससे हार्मोनल असंतुलन हो सकता है जो इर्रेगुलर पीरियड्स का कारण बन सकता है। कुछ महिलाओं को फास्टिंग के बाद पीरियड्स मिस तक होने लगते हैं या उनकी पीरियड साइकिल असामान्य रूप से बड़ी या छोटी होने की संभावना बन जाती है। यह शरीर को ऊर्जा नहीं मिलने की वजह से होता है और इससे रिप्रोडक्टिव सिस्टम पर भी असर पड़ता है। 

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एस्ट्रोजन हार्मोन में कमी

एस्ट्रोजन हार्मोन का संतुलन महिलाओं के शरीर में होना बेहद जरूरी है क्योंकि यह न केवल पीरियड्स को नियमित रखने में सहायक होता है बल्कि महिलाओं के मानसिक संतुलन, हड्डियों की मजबूती देने और त्वचा के लिए भी जरूरी होता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के कारण शरीर में एनर्जी लेवल कम होने लगते हैं जिससे एस्ट्रोजन का उत्पादन भी कम हो सकता है और इसकी कमी से ओस्टियोपोरोसिस जो कि हड्डियों की बीमारी होती है, मूड स्विंग्स बढ़ना, त्वचा में रूखापन और प्रजनन क्षमता में गिरावट आना जैसी समस्याएं आपको झेलनी पड़ सकती हैं। जिन महिलाओं में पहले ही हार्मोन असंतुलित रहते हैं उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग नुकसानदेह हो सकती है इसलिए इसे शुरू करने से पहले किसी विशेषज्ञ से सलाह लेनी बेहद जरूरी है।

पोषण की कमी

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महिलाओं के शरीर को आयरन, कैल्शियम, कई तरह के विटामिन जैसे B12, विटामिन D, C और ओमेगा-3 फैटी एसिड की अधिक आवश्यकता होती है। इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान कई बार महिलाएं प्रयाप्त पोषक तत्व नहीं ले पातीं, जिससे शरीर में इन बेहद जरूरी विटामिन्स और मिनरल्स की कमी हो जाती है। अगर इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान खाने के तय समय में पूरी तरह से संतुलित आहार नहीं लिया जाए तो यह शरीर में पोषण की कमी का कारण बन सकता है जिससे कमजोरी होना, चक्कर आना, बालों और नाखूनों का कमजोर होना और टूटना और त्वचा से जुड़ी कई समस्याएं हो सकती हैं और साथ ही इसका असर आपके इम्यून सिस्टम पर भी पड़ सकता है, जिससे शरीर बार-बार बीमारियों की चपेट में आ सकता है। खासकर जो महिलाएं प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं या न्यूट्रिशनल डेफिशिएंसी का शिकार हैं, उनके लिए इंटरमिटेंट फास्टिंग नुकसानदायक है।

ईटिंग डिसऑर्डर

इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान घंटों तक खाना ना खाने के कारण महिलाओं में खाने की अनहेल्दी आदतें विकसित हो सकती हैं। जैसे कि कई बार वे लंबे समय तक भूखी रहने के बाद आप ज्यादा खाना खाएंगी जिससे ओवरईटिंग की समस्या हो सकती है। साथ ही कुछ महिलाएं खाने को लेकर अत्यधिक चिंतित हो जाती हैं और यह चिंता भी एक ईटिंग डिसऑर्डर में बदल सकती है। खाने की आदतों में असंतुलन होने से मानसिक तनाव बढ़ जाता है और शरीर पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए इंटरमिटेंट फास्टिंग अपनाने से पहले सुनिश्चित करना जरूरी है कि आपकी खाने की आदतें संतुलित और नियंत्रित हैं या नहीं।

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स्लीपिंग डिसऑर्डर

इस फास्टिंग के कारण नींद की क्वालिटी भी घट जाती है क्योंकि जब आप लंबे समय तक भूखी रहती हैं तो शरीर में स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे नींद न आने की समस्या हो सकती है। इसलिए महिलाएं इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान रात में या तो ठीक से सो नहीं पातीं या बीच-बीच में नींद टूटती रहती है। नींद की कमी का सीधा असर मस्तिष्क, हृदय और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है और नींद की यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो इससे ब्लड प्रेशर बढ़ने और हृदय रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है। इंटरमिटेंट फास्टिंग खासकर उन महिलाओं के लिए जोखिम भरा हो सकता है जिन्हें पहले से ही हृदय संबंधी कोई समस्या है।

Disclaimer: इस प्लेटफॉर्म पर मौजूद जानकारी केवल आपकी जानकारी के लिए है। हमेशा चिकित्सा या स्वास्थ्य संबंधी निर्णय लेने से पहले किसी एक्सपर्ट से सलाह लें।

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