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5 Myths About The Female Orgasm (Image Credit :Hypebae)
5 Myths About The Female Orgasm : महिलाओ को ऑर्गेज़्म कब और कैस होता है ये अक्सर रहस्य टॉपिक रहता है, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है की इसे कैसे हासिल किया जाए और कितनी बार किया जाना चाहिए, इस बारे में बहुत सारी मिथक हैं। जैसे आप फिल्मों में या पोर्न मे जो देखते हैं, उस पर मत जाइए वास्तविक बहुत अगल होता है। तो जानिए इससे जुड़े कुछ मिथक के बारे मे जानते है।
5 मिथक महिलाओ के ऑर्गेज़्म के बारे में क्या है
1. केवल सेक्स ही ऑर्गेज़्म दे सकता है
फीमेल ऑर्गेज्म के बारे में पुरुषो मे ये मिथक यह है की केवल इंटरकोर्स ही आपको ऑर्गेज्म का आनंद दे सकता है। हालांकि, महिलाओं में ऑर्गेज्म से जुड़ा मिथक से काफी अलग है। सेक्स के जरिए ऑर्गेज़्म होता है यह एक सच्चाई है लेकिन यह बात सभी महिलाओं पर लागू नहीं होती। केवल एक कुछ महिलाएं ही सेक्स के ज़रिए ऑर्गेज़्म प्राप्त कर पाती हैं।
2. ऑर्गेज्म महिलाओं को देर से आते हैं
ये भी सच्च है की महिलाओं को ऑर्गेज्म ज्यादा देर से होता है और पुरुषों को ये जल्दी हो सकता है। पुरुषों के लिए ये 5-7 मिनट ही होता है और महिलाओं मे 13.41 मिनट तक का समय ले सकता है।
3. मास्टरबेसन महिलाओं के लिए अच्छा नहीं है
उन महिलाओं के लिए, जो अकेले सेक्स के माध्यम से आनंद प्राप्त करने में असमर्थ हैं, मास्टरबेसन ऑर्गेज़्म तक पहुँचने का एकमात्र तरीका है और ऐसा करने में बिल्कुल भी गलत नहीं है। यह सामान्य सेक्स का ही एक रूप है और करने के लिए पूरी तरह स्वस्थ है।
4. ज्यादा देर तक सेक्स करने से ऑर्गेज्म मिल सकता है
ऑर्गेज्म एक अनोखा और आंनद एक्सप्रिएंस है जो पूरी तरह से सेक्स के अलावा अन्य कारकों से मिल सकता है। यह उत्तेजना के समय, पैटर्न, चक्र और सेक्स ये सब महिला पर निर्भर करता है कब उसे ऑर्गेज्म आता है। कुछ महिलाएं फोरप्ले और कुछ फंतासी द्वारा भी ऑर्गेज्म का अनुभव कर सकती हैं।
5. सभी को ओर्गास्म होता है अगर मैं ओर्गास्म नहीं करती तो मेरे साथ कुछ गड़बड़ है।
यदि आप ओर्गास्म नहीं कर सकते हैं या नहीं करते हैं, तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह जानना है कि आपके साथ कुछ भी गलत नहीं है। आप स्वस्थ है और वेजाइना भी ठीक है ये सब नेचरल है। ओर्गास्म ना आने के करण एंटीडिप्रेसेंट जैसी दवाएं, ट्रैमा, जीवन के विभिन्न चरणों में होने वाले परिवर्तन जैस वजन घटना या बढ़ना, काम पर तनाव, आदि।
सूचना : इस आलेख को केवल संपादित किया गया है। मौलिक लेखन प्रीती विश्वकर्मा का है।